नवलगढ़ (झुंझुनू).अरावली पर्वतमाला की हरियाली वादियों में बसे तीर्थराज लोहार्गल धाम पर सावन के महीने में लाखों कावड़ियां आते हैं. यहां आने के साथ ही गौमुख से जल ले जाकर अपने-अपने गंतव्य पर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. सावन के महीने में लोहार्गल की वादियां बोल बम ताड़क के जयकारों से गूंजती रहती है. लेकिन इस बार लोहार्गल की वादियों में बोल बम तड़ाक बम की गुंज सुनाई नहीं देगी. बाजारों में कावड़ तो सजी हैं, लेकिन प्रवेश नहीं मिलने की वजह से खरीददार नहीं हैं. यहां तक कि ज्ञान बावड़ी स्थित प्राचीन शिव मंदिर के पट भी बंद हैं. जिस सूर्य कुण्ड में रोजाना हजारों की भीड़ रहती थी, वो आज पूरी तरह सूना पड़ा है.
बता दें कि लोहार्गल धाम के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि लोहार्गल की वादियों में सावन महीने में भगवान शिव के जयकारों की गूंज सुनाई नहीं देगी. सावन के महीने में लोहार्गल के गौमुख से निकलने वाली पवित्र धारा से कावड़ियां जल लेकर जाते हैं और उस जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. रंग-बिरंगे कपड़ों में जयकारों के घोष के साथ कावड़ियों की टोलियां हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती थीं. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण ने यहां का नजारा ही बदलकर रख दिया.
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स्थानीय लोगों पर रोजी रोटी का संकट
लोहार्गल धाम के स्थानीय लोगों का रोजगार भी धाम में आने-वाले श्रद्धालुओं पर ही निर्भर है. यहां के अधिकतर लोगों ने खाकी चौक से लेकर कुण्ड तक कई आचार सहित कई अन्य वस्तुओं की दुकानें खोल रखी है, जिनसे धाम में आने-वाले लोग खरीददारी किया करते हैं. लेकिन इस बार तो लॉकडाउन के चलते व्यापार पर ताला लगा हुआ है. जिससे यहां के लोगों पर रोजी-रोटी का संकट आन पड़ा है. पिछले 3 महीने से धाम बंद होने के कारण स्थानीय लोगों के रोजगार पर भी पूरी तरह से ताला लग गया है.
मंदिर में भी नहीं हो रही कोई आमदनी