झुंझुनू. ऐसी बारिश ऐसी हवा, सारा गुस्सा मुझ पर है, अच्छी है बारिश लेकिन छत पर एक कबूतर है. जब-जब आसमान आग उगलता है, कड़कड़ाती ठंड के आगोश में यह धरती आती है या फिर आंधी-तूफान और बारिश के कारण इंसान का बाहर निकलना मुश्किल होता है तो मानवीय मन कहता है कि ऐसे में पशु पक्षियों पर क्या बीत रही होगी.
इंसान के प्रेम वाहक के रूप में पहचान रखने वाले कबूतर इन प्राकृतिक आपदाओं में कुछ ज्यादा ही परेशान होता है. लेकिन झुंझुनू जिले में एक जगह ऐसी है जहां पर आंधी आए, बारिश आए और तूफान आए, कम से कम कबूतरों को कोई परेशानी नहीं होती क्योंकि इंसान की तरह कबूतर भी यहां फ्लैटस में रहते हैं.
गायों के साथ रहते हैं कबूतर
श्री गोपाल गोशाला में गायों के साथ-साथ कबूतरों की भी फिक्र की जाती है. गोशाला में कबूतरों के लिए चुग्गा पात्र लगाए गए हैं और रहने के लिए फ्लैट भी बनाए गए हैं. झुंझुनू की गोपाल गोशाला में कबूतरों के लिए 1100 फ्लैट बनाए गए हैं. इनमें करीब 550 पक्षी जोड़े साथ रह सकते हैं. वर्ष 2016 में इन पर करीब 4 लाख रुपए खर्च कर इन फ्लैट्स का निर्माण किया गया था.
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गोशाला प्रबंधन की ओर से फ्लैट्स के पास खाली जगह में कबूतरों व अन्य पक्षियों के लिए दाना-पानी की भी व्यवस्था की हुई है. यूं तो इन घरौंदों में कोई भी पक्षी रह सकता है, मगर इनका निर्माण मुख्य रूप से कबूतरों को ध्यान में रखकर करवाया गया है.