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8 हड्डियां टूटने के बाद एवरेस्ट फतेह करने वाले अनिल की कहानी - माउंट एवरेस्ट

झुंझुनू के सोलाना गांव निवासी अनिल ने 1 जून की सुबह माउंट एवरेस्ट फतेह की. अनिल सेना में हैं और पर्वतारोहण के शौकिन हैं. 2018 में एक हादसे में उनकी 8 हड्डियां टूट गई थी. तब सब ने कहा था कि वह कभी पर्वतारोहण नहीं कर पाएगा. लेकिन अनिल ने एवरेस्ट फतेह कर सभी का मुंह बंद कर दिया.

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8 हड्डियां टूटने के बाद एवरेस्ट फतेह करने वाले अनिल की कहानी

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Published : Jul 10, 2021, 8:44 PM IST

झुंझुनू. करीब 17 साल की उम्र में 2002 में सेना में भर्ती हुए अनिल कुमार सोलाना ने 2009 में पर्वतारोहण शुरू किया था. अनिल ने गुलमर्ग में 6 महीने पर्वतारोहण की ट्रेनिंग ली और फिर अपना सफर शुरू किया. 2011 में रोप क्लामिंग के दौरान सोनामार्ग में पहाड़ी के ऊपर से गिरे पत्थर की चपेट में आने से वह फिसल गया और करीब 60 फीट नीचे रस्सी के सहारे लटक गया. हादसे में अनिल की हड्डी फैक्चर हो गई थी.

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इसके बाद 2018 में रांची में पोस्टिंग के दौरान एक बार फिर अनिल के साथ हादसा हुआ. जिसमें उसकी 8 हड्डियां फैक्चर हो गई थी. जिसके बाद डॉक्टरों ने कहा था कि वह कभी पर्वतारोहण नहीं कर पाएगा. लेकिन अनिल ने हार नहीं मानी और ठीक होने के बाद फिर से अभ्यास शुरू किया. 2019 में अनिल की पोस्टिंग NIM में हुई. इस दौरान उसने माउंट त्रिशूल 7120 मीटर, माउंट मुम्बा 5536 मीटर, माउंट कू 6220 मीटर, माउंट नागा 4848 मीटर पर्वतारोहण किया. इसके बाद अनिल को हौसला मिला और उसने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की तैयारी की.

8 हड्डियां टूटने के बाद एवरेस्ट फतेह करने वाले अनिल की कहानी

अनिल ने 2020 में सरुप चोटी पॉइंट 6007 मीटर, पॉइंट 6129 मीटर, पॉइंट 6025, पॉइंट 6030, पॉइंट 6075 मीटर, पॉइंट 6119 मीटर का सफल पर्वतारोहण किया. अनिल 25 अप्रैल 2021 को माउंट एवरेस्ट के बेस कैम्प पहुंचा. इस दौरान उसके साथ 400 से अधिक पर्वतारोही थे. कैम्प 2 तक आधे से अधिक पर्वतारोही वापिस लौट आये. मगर अनिल और उसके साथियों ने हार नहीं मानी और मौसम खराब और बर्फबारी के बावजूद 1 जून को माउंट एवरेस्ट फतह कर तिरंगा एवरेस्ट की चोटी पर फहरा दिया. एवरेस्ट फतह करने के बाद पहली बार गांव आए अनिल कुमार का जगह-जगह पर स्वागत किया गया.

अनिल कुमार ने बताया कि लगातार मौसम खराब होने की वजह से पर्वतारोही वापस लौट रहे थे. इस बार समय कम था, हमने 25 अप्रैल को बेस कैम्प से शुरुआत की और कैम्प 2 पहुंचे. यहाँ पर बर्फबारी से टैंट नष्ट हो गए. हमने नीचे संपर्क साधा तो 30 अप्रैल और 1 जून को मौसम खुलने की जानकारी मिली. बर्फबारी के बाद 200 से अधिक पर्वतारोही वापस आ गए. हमनें निर्णय किया कि अब बिना रुके ही चढ़ना है और वापस आना हैं. क्योंकि हमारे पास 48 घंटों का समय था. 1 जून को सुबह 6 बजे हमने एवरेस्ट फतेह की. अनिल ने बताया कि अब विश्वभर की 9 हजार मीटर से अधिक 14 चोटियों पर तिरंगा फहराने का लक्ष्य है. इसको लेकर वो आगे तैयारी शुरू करेगा.

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