झुंझुनू. ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल, स्वच्छता एवं सामुदायिक परिसंपत्तियों के निर्माण व रख रखाव के लिये भारत सरकार से सीधे ग्राम पंचायतों के खातों में आने वाले अनुदानों के उपयोग का विश्लेषण करने के उपरांत भारत सरकार ने हाल में 15वें वित्त आयोग की अभिशंसा पर जारी अनुदान की गाइडलाइन में परिवर्तन कर दिया गया है. मार्च 2020 में पूर्ण हुए 14वें वित्त आयोग की अभिशंसा पर गत 5 साल के दौरान झुंझुनूं जिले की 301 ग्राम पंचायतों को इस मद में 452 करोड़ रुपये प्राप्त हुए. इसके अलावा राज्य वित्त आयोग की अभिशंसा पर 245 करोड़ रुपये प्राप्त हुए.
ग्रामीण विकास के मापदंडों को बदला गया इस कामों में खर्च हुई राशि
इस राशि में से 48 प्रतिशत राशि केवल नये बोरवेल खुदवाने, पानी की टंकी बनाने, ढाणियों तक पाइप लाइन बिछाने, नलकूपों के रख रखाव और बिजली बिल की राशि चुकाने में खर्च कर दी गई. इसके अतिरिक्त 40 प्रतिशत राशि टुकड़ों में सीसी इंटरलॉकिंग सड़कों के नाम पर खर्च कर दी गई. इस राशि से अनावश्यक जल दोहन किया गया और सीमेंट सड़क की आड़ में कीचड़ को इधर उधर किया गया.
नहीं हो पाएगा जल दोहन का कार्य
जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनिवास जाट के अनुसार 15वें वित्त आयोग की गाइडलाइन में राशि के उपयोग से होने वाले विकास की धारा को केवल परिसंपत्तियों के रख रखाव की ओर मोड़ दिया गया है. केंद्रीय वित्त आयोग की अभिशंषा पर जिले को मिली प्रथम किश्त की 18 करोड़ की राशि के साथ जारी गाइडलाइन के अनुसार जिले को प्राप्त होने वाली कुल राशि में से ग्राम पंचायतों को 75 प्रतिशत, पंचायत समितियों को 20 व जिला परिषद 5 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा.
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जिसका उपयोग मनरेगा व अन्य योजनाओं के साथ जोड़ते हुए नये पंचायत भवनों के निर्माण, पूर्व में निर्मित स्थायी परिसंपत्तियों के रख रखाव, पेयजल संरक्षण तथा आपूर्ति तथा तरल एवं ठोस कचरे के निस्तारण के लिए ही किया जा सकेगा. मार्ग निर्देशिका के अनुसार अब जल संग्रहण ढांचों का निर्माण कर पानी के संचय तथा न्यूनतम उपलब्धता को प्राथमिकता दी गई हैं. इस राशि से किसी प्रकार की सड़क, मार्ग पक्का करने के काम और अति जलदोहन को बढ़ावा देने वाले नए कार्य नहीं करवाये जा सकेंगे.