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सूरजगढ़ के प्राचीन श्याम मंदिर से निकली निशान पदयात्रा, हजारों पदयात्री हुए शामिल

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Published : Mar 22, 2021, 7:43 AM IST

सूरजगढ़ में रविवार को प्राचीन श्याम मंदिर से निशान पदयात्रा निकली. पदयात्रा महंत मोहनलाल के नेतृत्व में निकली. जिसमें देश-विदेश से आए हजारों पदयात्री खाटू धाम के लिए निकले. सूरजगढ निशान की अंग्रेजों के जमाने से विशेष मान्यता है.

Shyam temple of Surajgarh, झुंझुनू न्यूज
सूरजगढ़ श्याम मंदिर से निकली निशान पदयात्रा

सूरजगढ़ (झुंझुनू). सूरजगढ़ कस्बे में रविवार को वार्ड 22 के प्राचीन श्याम मंदिर से श्याम निशान पदयात्रा निकली. इस दौरान कस्बा श्याम भक्तों के जयकारे से गूंज उठा. महंत मनोहरलाल की अगुवाई में पदयात्रा पूर्णमल, नत्थूराम, बजरंगलाल, मोहनलाल और निशांन्धारी जयसिंह के नेतृत्व में हजारों पदयात्रियों का जत्था मंदिर परिसर से खाटू धाम के लिए निकला.

सूरजगढ़ श्याम मंदिर से निकली निशान पदयात्रा

निशान पदयात्रा में आगे-आगे हनुमान की पताका के साथ महिलाएं सिर पर सिगड़ी रखकर उसमे अलाव जलाकर बाबा के मंगल गीत गाते आगे चलती नजर आई. इस दौरान पदयात्रा में श्रद्धालु बैंड-बाजे की धुनों पर नाचते-गाते हुए चल रहे थे. पदयात्रा में देश भर के कोने-कोने के साथ विदेशों से भी लोग हजारों किलोमीटर की यात्रा कर भाग लेने पहुंचे. वहीं निशान पदयात्रियों के स्वागत के कस्बेवासियों ने अपने पलक पावड़े बिछा दिए. लोगों ने पुष्पवर्षा के साथ पदयात्रा और निशान धारियों का जोरदार स्वागत किया.

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द्वादशी को बाबा के शिखर बंद पर निशान चढाया जाएगा

पदयात्रा सुल्ताना, गुढ़ा, उदयपुरवाटी, गुरारा होते चार दिनों की यात्रा के बाद खाटू धाम को पहुंचेगी, जहां दो दिन के विश्राम के बाद द्वादशी को बाबा के शिखर बंद पर निशान चढाया जाएगा. जिसके बाद पद यात्रियों का जत्था वापसी में भी पैदल ही घर के लिए रवाना हो जाएगा.

मोर पंख से मंदिर का तोड़ चढ़ाया निशान

बता दें कि सूरजगढ़ निशान का विशेष महत्व माना जाता है. इस निशान के भक्तों ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिलाते हुए उनकी चूले हिला दी थी. अंग्रेजी शासन काल के समय श्याम मंदिर में निशान चढाने को लेकर भक्तों की होड़ मच गई थी. जिसके बाद अंग्रेजी हुकूमत ने बाबा श्याम के मंदिर के पट बंद कर बड़ा सा ताला लगा दिया और कहा कि जो भी भक्त बिना किसी हथियार के इस ताले के तोड़ेगा. वहीं मंदिर में बाबा के निशान चढ़ाएगा. उसके बाद सभी भक्तों ने अपने अपने प्रयास किए लेकिन ताला नहीं खुला. उसके बाद जब सूरजगढ़ से निशान लेकर गए मंगलाराम अहीर का नंबर आया तो उसने अपने गुरु की आज्ञा लेकर मोर पंख से ताले को तोड़ दिया और बाबा का मंदिर खोल कर निशान चढ़ाया.

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हर साल उमड़ता है भक्तों का हुजूम

उसके बाद से ही खाटू में सूरजगढ़ निशान का विशेष महत्व दिया जाने लगा और आजतक भी श्याम मंदिर पर सूरजगढ़ के ही निशान चढ़ाए जाते हैं. खाटू की भांति सूरजगढ़ के श्याम मंदिरों की भी महिमा बनी हुई है. यहां पर भी हर साल भक्तों का हुजूम उमड़ता है.

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