झुंझुनूं. राजस्थान में भाजपा ने 16 प्रत्याशियों के नामों का एलान किया है. जिसमें 14 मौजूद सांसदों को दोबारा पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है. झुंझुनूं और भीलवाड़ा से पार्टी ने अपना चेहरा बदला है. जिसके बाद झुंझुनूं से मौजूदा सांसद संतोष अहलावत ने टिकट कटने के बाद एलान किया है कि वो किसी अन्य पार्टी में नहीं जाएंगी, लेकिन उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने के विकल्प को खुला रखने के बाद नई चर्चाओं को बल मिला है.
हालांकि इस एलान के बाद अब उनके कांग्रेस या अन्य किसी पार्टी में जाने की चर्चाओं पर तो विराम लग गया है, लेकिन अब हर कोई यह जानना चाहता है कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ेगी या नहीं. तो राजनीतिक सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर हम आपको बता रहे हैं कि वह किन परिस्थितियों में चुनाव लड़ सकती है. संतोष अहलावत कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान या ओला परिवार में से किसी को टिकट मिलने पर चुनाव लड़ने के बारे में मानस बना रही हैं. वहीं कांग्रेस का टिकट श्रवण कुमार को मिलने की स्थिति में वह चुनाव नहीं लड़ेगी.
सांसद संतोष अहलावत ने नहीं खोले निर्दलीय चुनाव लड़ने के पत्ते इस तरह से बन रही है परिस्थितियां
दरअसल, सांसद संतोष अहलावत सूरजगढ़ क्षेत्र से आती है और उनका प्रभाव सूरजगढ़, पिलानी, उदयपुरवाटी व खेतड़ी विधानसभा में माना जाता है. वहीं कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ चंद्रभान, ओला परिवार और भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी नरेंद्र खीचड़, झुंझुनू विधानसभा के आसपास के रहने वाले हैं और उन्हीं क्षेत्रों में उनका प्रभाव माना जाता है. ऐसे में सांसद संतोष अहलावत को यह लग रहा है कि दोनों ही पार्टियों के अधिकृत प्रत्याशी झुंझुनू, मंडावा, फतेहपुर में ही सिमट जाएंगे और वह अपनी अन्य चार विधानसभाओं में प्रभाव के बलबूते वोट लेकर इन पार्टियों को टक्कर दे सकती हैं.
श्रवण कुमार को टिकट मिला तो हो सकती हैं परेशानी
वहीं कांग्रेस पार्टी यदि श्रवण कुमार को प्रत्याशी बनाती है तो सांसद संतोष अहलावत का चुनाव लड़ना लगभग नामुमकिन है. श्रवण कुमार दो बार सूरजगढ़, तीन बार पिलानी विधानसभा से विधायक रह चुके हैं. इस बार का विधायक का चुनाव हारने के बाद उस क्षेत्र में श्रवण कुमार के लिए अच्छी खासी सहानुभूति है और ऐसे में संतोष अहलावत को वहां से टिकट कटने की सहानुभूति के आधार पर वोट नहीं मिल पाएंगे.