मंडावा (झुंझुनूं).मंडावा विधानसभा उपचुनाव में दो महिला उम्मीदवार आमने-सामने हैं. कांग्रेस के परम्परागत चेहरे और पूर्व विधायक रीटा चौधरी का मुकाबला कांग्रेस से बीजेपी में आई सुशीला सींगड़ा से होगा. सत्ताधारी दल कांग्रेस की प्रतिष्ठा इन चुनावों में दांव पर होगी तो वहीं भाजपा अपने कब्जे से इस सीट को गंवाना नहीं चाहेगी. ऐसे में दोनों ही दल की प्रत्याशियों ने अपने-अपने क्षेत्र में चुनाव प्रचार तेज कर दिया है. चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी रीटा चौधरी से ईटीवी भारत ने बात की.
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मंडावा की सीट को कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. मंडावा से कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामनारायण चौधरी लगातार विधायक बने, लेकिन अब उनकी विरासत नारायण चौधरी की बेटी रीटा चौधरी संभाल रही हैं जो लगातार दो चुनाव हार चुकी हैं. ऐसे में अब यह उप चुनाव तय करेगा कि रीटा चौधरी का राजनीतिक भविष्य क्या होगा. इस सब मुद्दों पर रीटा चौधरी ने खुलकर बात की.
(पार्ट-2) ईटीवी भारत की कांग्रेस प्रत्याशी रीटा चौधरी की खास बातचीत पढ़ें- विधानसभा उपचुनाव: मंडावा सीट पर कड़ा मुकाबला...एक तरफ कैलिफोर्निया से एमबीए तो दूसरी तरफ 10वीं पास
ईटीवी भारत से रीटा चौधरी ने बात करते हुए बड़ी साफगोई से स्वीकार किया कि साल 2008 में वह विधायक बनी तो वह राजनीति में नई थी. उन्हें पता नहीं था कि क्या करना होता है. ऐसे में कुछ गलतियां उनसे हुई थी. जिन्हें वह सुधार रही है तो वहीं भाजपा सतीश पूनिया के तौर पर जाट प्रदेशाध्यक्ष बनाना और हनुमान बेनीवाल की पार्टी रालोपा के साथ भाजपा का गठबंधन होने और उनके खिलाफ प्रचार करने की बात पर उन्होंने कहा कि मंडावा की जनता सब जानती है. बेनीवाल और सतीश पूनिया दो दिन मंडावा में शक्ल दिखाएंगे उसके बाद कभी दिखाई नहीं देंगे क्षेत्र की जनता के काम तो रीटा चौधरी की आएगी.
(पार्ट-3) ईटीवी भारत की कांग्रेस प्रत्याशी रीटा चौधरी की खास बातचीत पढ़ें-विधानसभा उप चुनाव: मंडावा के बाजार से चुनावी चर्चा, स्थानीय ही नहीं, राष्ट्रीय मुद्दे भी हावी
वहीं उन्होंने माना कि रामेश्वर डूडी के प्रकरण को लेकर उनके क्षेत्र में दुष्प्रचार किया जा रहा है. लेकिन रामेश्वर डूडी का आशीर्वाद उन पर हमेशा रहा है और आगे भी बना रहेगा. उन्होंने बताया कि जब वह पार्टी से निष्कासित हुई थी तो उन्हें वापस लाने में सचिन पायलट के साथ ही रामेश्वर डूडी का भी योगदान रहा था. रीटा चौधरी साफ तौर पर यह चुनाव अपने पिता और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रहे रामनारायण चौधरी के नाम पर लड़ रही हैं.
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