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झुंझुनू: 2 बेटियों पर नसबंदी करवाकर एक मां ने दिया बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का दिया संदेश

झुंझुनू में एक महिला दो बेटियां होने के बाद भी खेतड़ी के राजकीय अस्पताल में नसबंदी कराने पहुंची. महिला का कहना रहा कि उसके लिए बेटा और बेटी दोनों समान ही है. इनमें किसी प्रकार का कोई भेद नहीं है. साथ ही महिला ने बेटी बचाने और बेटी पढ़ाने का भी संदेश दिया.

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Published : Oct 17, 2019, 10:10 AM IST

खेतड़ी (झुंझुनू). बेटों की चाह में राज्य में भ्रुण हत्या के बढ़ते मामलों के बीच झुंझुनूं जिले की एक महिला ने बेटियों को बचाने की मिसाल पेश की है. यह जिला बेटियों को पढ़ाने और बचाने के लिए देश स्तर पर सम्मानित होने के बाद अब जिले की महिलाएं भी बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं अभियान में भागीदारी निभा रही है.

महिला ने दिया संदेश, बेटे और बेटे में नहीं करें कोई भेदभाव

यहां बुधवार को नसबंदी कैंप का आयोजन किया गया. जिसमें डॉक्टरों की टीम ने दर्जनों महिलाओं का सफल ऑपरेशन किया. अस्पताल में रोजमर्रा की तरह मरीजों की भीड़ थी, लेकिन इन सबके बावजूद एक दिल को छूने वाला मामला सामने आया. जब गौरीर निवासी सुनीता देवी ने अस्पताल में आकर अपनी दो बेटियां होने के बाद नसबंदी का ऑपरेशन करवाया. साथ ही सभी को बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का पाठ पढ़ाया. सुनीता ने बेटियों को समान अवसर की जीती जागती मिसाल पेश की.

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अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराधा निर्वाण ने बताया कि गौरीर निवासी हेमराज की पत्नी सुनीता देवी की दो बेटियां हैं. एक की उम्र 3 वर्ष जिसका नाम रीना है. दूसरी की उम्र 12 माह है. जिसका नाम रितु है. सुनीता का इस मामले में कहना है कि उसे बेटा नहीं सिर्फ बेटी चाहिए. बेटी ही उसका घर चलाएगी और वह बेटी को पढ़ा-लिखा कर जीवन में आगे बढ़ाने के लिए हर कोशिश करेगी. सुनीता देवी ने कहा कि वह अपनी बेटियों को इतना पढ़ाना चाहती है कि वह देश का नाम रोशन करें और पढ़ लिखकर एक बड़ी अधिकारी बने. सुनीता ने बताया कि उसे बेटे की चाह नहीं है. इस मौके पर श्रीमती राजकौर, श्रीमती मनोज, आशा सहयोगिनी राजबाला, मंजू देवी, बरखा सहित अन्य स्टाफ मौजूद रहा.

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