खेतड़ी (झुंझुनू).उपखंड के टीबा गांव में सोमवार को पुलवामा हमले में शहीद हुए श्योराम गुर्जर की प्रतिमा का अनावरण समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, विशिष्ट अतिथि विराटनगर विधायक इंद्राज गुर्जर, नीमकाथाना विधायक सुरेश मोदी थे. जबकि अध्यक्षता सीएम के सलाहकार डॉ. जितेंद्र सिंह ने की थी. कार्यक्रम के दौरान सर्वप्रथम अतिथियों ने शहीद श्योराम गुर्जर की आदमकद प्रतिमा का विधिवत रूप से अनावरण किया गया.
सरकार की मंशा पर सवालिया निशानः इसके बाद सभा को संबोधित करते हुए सचिन पायलट ने कहा कि उन्होंने वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कराने के लिए जयपुर में एक दिन के लिए अनशन किया था, लेकिन सात दिन बीत जाने के बाद भी सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया. यह रवैया सरकार की मंशा पर सवालिया निशान खड़ा करता है. उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम लिए बिना ही कहा कि जो लोग पूर्व में सरकार नहीं होने पर वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार को लेकर आरोप लगाते थे, आज उनके पास पावर होने के बाद भी उनकी जांच नहीं कराना सरकार की नाकामी को दर्शा रहा है. पहले जब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार नहीं थी, तो उन्होंने गांव-गांव जाकर जनता को पार्टी की विचारधारा से जोड़कर सरकार बनाई थी. सरकार बनाने से पूर्व जनता से अनेक वादे किए गए थे. अपनी सरकार के कार्यकाल में जनता से किए गए वादे पूरे नहीं होने से अब किस मुंह से चुनाव में जाकर पार्टी के लिए वोट मांगेंगे.
किसान और जवान की बदौलत खेतड़ी का नामः राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान और जवान की बदौलत से ही खेतड़ी का नाम पूरे हिंदुस्तान में जाना जाता है. शहीद श्योराम गुर्जर ने पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड कामरान गाजी को ढेर कर देश के लिए बहुत बहादुरी का काम किया गया था. इसके बावजूद भी वीरांगना को आज तक सरकारी नौकरी नहीं दी गई है. सरकारी नौकरी को लेकर वीरांगना को चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, यह बड़े दुख की बात है. देश के लिए प्राणों की आहुति देने वाले लोगों के लिए जो भी नियम और कायदे बदलने पड़े सरकार को आगे आकर बदलना चाहिए. शहीद परिवारों को उचित न्याय देना चाहिए. पायलट ने कहा कि कुछ दिन पहले राजस्थान की ही वीरांगनाओं ने नौकरी व अन्य समस्याओं को लेकर आंदोलन किया था. यदि सरकार समय रहते शहीद परिवारों की भावनाओं को समझ ले तो शहीद वीरांगनाओं को आंदोलन करने की नौबत नहीं आए.