झुंझुनू. नगर परिषद झुंझुनू में कांग्रेस का बोर्ड बनने पर दो दशक से चल आ रही परंपरा के तहत सभापति पद पर मुस्लिम समाज की नगमा बानो तो उप सभापति की सीट पर जाट समाज के राकेश झाझरिया काबिज हो गए हैं.
ओला परिवार की रणनीति रही कामयाब कद्दावर नेता शीशराम ओला की हमेशा ही यह रणनीति रही थी कि मुस्लिम बहुल्य झुंझुनू विधानसभा क्षेत्र में नगर परिषद सभापति पद पर हमेशा मुस्लिम प्रत्याशी को ही यह पद देकर संतुष्ट रखा जाए तो उप सभापति का पद जाट समाज को देकर उन्हें भी साथ रखा जाए.
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इस बात का फायदा शीशराम ओला को भी मिलता रहा है और उन्हीं के नक्शे कदम पर चलते हुए उनके पुत्र बृजेंद्र ओला ने भी अब इसी समीकरण पर काम किया है. यह आप खुद सुन सकते हैं कि पद पर चुने जाने के बाद दोनों ही जनप्रतिनिधियों ने कहा है कि बृजेंद्र ओला जो कहेंगे, उसके अनुसार ही वे कार्य करेंगे.
इस तरह से चलता रहा है इतिहास
झुंझुनू की राजनीति में बड़े केंद्र के रूप में जब शीशराम ओला का उदय हो रहा था तो उन्होंने 1999 में कांग्रेस का बोर्ड आने के बाद तैय्यब अली को उस समय नगरपालिका में अध्यक्ष बनवाया था. इसके बाद कांग्रेस का बोर्ड आने पर खालिद हुसैन को सभापति तथा इस बार नगमा बानो को सभापति बनाया गया है. इसी क्रम में उप सभापति की सीट पर जाट समाज के वीरेंद्र डारा, विमला बेनीवाल तथा अब राकेश झाझरिया को इस कुर्सी पर बिठाया गया है.
यहां पर हो गई गड़बड़...
वहीं बात भारतीय जनता पार्टी की कि जाए तो कम से कम यहां पर वह जातिगत समीकरण साधने में असफल रही और संभवत इसका खामियाजा ही इस बार पार्टी को भुगतना पड़ा. नगर परिषद में भाजपा के गत बोर्ड में तो सभापति व उप सभापति दोनों ही पदों पर जाट समाज के सुदेश अहलावत व अनीता काबिज थे. वहीं भाजपा की ओर से पहले जिला मुख्यालय ब्राह्मण, बनिया बहुल्य होने पर दोनों ही पद इसी समाज को दे दिए जाते थे. इसी के तहत रमेश टीबड़ा, भारती टीबड़ा नगर पालिका में अध्यक्ष व नगर परिषद बनने के बाद सभापति पद पर काबिज रहे.