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स्पेशल: राजनीतिक खींचतान के बीच डांवाडोल स्थिति में झुंझुनू नगर परिषद, हर दो महीने में बदलते हैं आयुक्त - condition of city council is pathetic

झुंझुनू नगर परिषद की स्थिति दयनीय बनी हुई है. दरअसल बात यह है कि यहां पर कोई भी कमिश्नर आता है, वह दो महीने से अधिक समय तक नहीं टिक पाता. कुछ लोग इसे राजनीतिक वर्चस्व से भी जोड़कर देख रहे हैं. बीते करीब दो महीने के अंदर तीन बार नगर परिषद में उठापटक हुई है.

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हर दो माह में बदल जाते हैं कमिश्नर

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Published : Oct 27, 2020, 9:11 PM IST

झुंझुनू.नगर परिषद झुंझुनू गत साल भर से डांवाडोल की स्थिति में है. यहां कमिश्नर जैसी पोस्ट पर कोई अधिकारी दो माह भी नहीं टिक पाता है. इससे पहले ही उसका तबालदा कर दिया जाता है. राजनीति से जुड़े लोग इसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट की खींचातान से भी जोड़कर देखते हैं. क्योंकि विधायक बृजेन्द्र ओला खुलकर सचिन पायलट के पक्ष में लंबे समय से रहे हैं.

हर दो माह में बदल जाते हैं कमिश्नर

स्वायत्त शासन विभाग ने नगर परिषद आयुक्त का तबादला करने के बाद यहां पर भिवाड़ी से धर्मपाल चौधरी को भेजा गया है. ऐसे में 55 दिन में तीसरी बार नगर परिषद का आयुक्त बदल गया है. इस तरह एक साल में स्वायत्त शासन विभाग यहां छह कमिश्नर नियुक्त कर चुके हैं. स्थाई आयुक्त नहीं लगाए जाने से नगर परिषद और शहर के विकास की व्यवस्थाएं बिगड़ गईं हैं, इससे शहरी परेशान हो रहे हैं. इसमें 55 दिन पहले नगर परिषद आयुक्त बनकर आई अनीता खीचड़ का तबादला कर दिया गया है.

झुंझुनू नगर परिषद कार्यालय

उनके स्थान पर भिवाड़ी नगर निकाय से धर्मपाल चौधरी को नया आयुक्त लगाया गया है. अनीता खीचड़ को चूरू नगर परिषद में आयुक्त के पद पर लगाया गया है. खीचड़ ने 21 अगस्त को आयुक्त का चार्ज संभाला था. इनसे पहले रोहित कुमार मील नगर परिषद के आयुक्त के पद पर कार्यरत थे, जिनको स्वायत शासन विभाग ने एपीओ कर दिया था.

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विनयपाल के बाद से लगातार बदल रहे हैं आयुक्त

नगर परिषद में एक साल के दौरान करीब 6 आयुक्त बदले जा चुके हैं. आयुक्त विनयपाल यहां करीब ढाई साल रहे थे. उसके बाद अनीता खीचड़ को आयुक्त बनाया गया था. इसके बाद रामनिवास कुमावत को आयुक्त बना दिया गया, फिर अक्टूबर में देवीलाल बोचल्या आयुक्त बने. वहीं फरवरी में रोहित कुमार मिल को आयुक्त लगा दिया. अगस्त में फिर से अनीता खीचड़ को आयुक्त बना दिया था. अब एक बार फिर उनका तबादला कर धर्मपाल चौधरी को आयुक्त बना दिया गया है.

कमलकांत शर्मा और उम्मैद सिंह पूनिया का बयान

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ओला परिवार को मिलते हैं थोक के वोट

झुंझुनू नगर परिषद मुस्लिम बाहुल्य है और जाट कम्यूनिटी के लोग भी शहरीकरण के बाद बड़ी संख्या में यहां पर आकर बसे हैं. ऐसे में यहां से सांसद शीशराम ओला चुनाव लड़ते थे, तब भी एक बड़ी लीड इस क्षेत्र से उनको मिलती थी. वहीं उनके पुत्र बृजेन्द्र ओला को भी झुंझुनू विधानसभा में भी यहां से विनिंग वोट मिलते हैं. यही कारण है कि जब भी कांग्रेस की ओर से यहां बोर्ड बनाया गया. मुस्लिम उम्मीदवार को ही यहां पर सभापति बनाया गया है. जबकि उपसभापति पर जाट समुदाय का व्यक्ति काबिज रहा है.

झुंझुनू शहर का नजारा

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शहर में हैं बड़ी समस्याएं

जब यहां पर स्थाई रूप से लंबे समय तक विनयपाल कमिश्नर रहे तो सिवरेज, दिल्ली के नजदीक होने की वजह से प्रदूषण की स्थिति खराब होने से बड़ी संख्या में पौधरोपण, कई जगह पर पार्क, कचरा निस्तारण की समस्या का स्थाई समाधान के लिए जमीन आवंटन सहित कई काम हुए. वहीं शहर में इस तरह से लगातार हो रहे कमिश्नर के तबादलों की वजह से कोई ध्यान देने वाला नहीं है. जबकि शहर की सड़कें कई जगह से टूटी पड़ी हैं, पानी की लाइनों को लेकर लगातार शिकायत आती रही है. कचरा निस्तारण के लिए जमीन आवंटन से आगे कार्य नहीं बढ़ पाया है. ऐसे में निश्चित ही स्थाई कमिश्नर की यहां पर बड़ी जरूरत है.

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