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Published : Oct 6, 2019, 2:59 PM IST

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झुंझुनू का ऐसा सरकारी स्कूल, जहां बच्चों को बैग के साथ पानी की बोतल ले जाना भी है जरूरी

झुंझुनू के खेतड़ी क्षेत्र में एक सरकारी स्कूल ऐसा है, जहां बच्चों को रोजाना अपने घर से स्कूल बैग के साथ ही पानी की बोतल भी ले जानी पड़ती है. दरअसल, ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि स्कूल में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. मजबूरी में उन्हें अपने घर से ही पीने का पानी ले जाना पड़ता है. हैरानी की बात तो यह है कि इस स्कूल में बच्चों के लिए मिड-डे-मील तैयार करने के लिए भी बुजुर्ग महिला को करीब आधा किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है. तब जाकर बच्चों के लिए भोजन बन पाता है. पेश है एक खास रिपोर्ट :

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खेतड़ी (झुंझुनू). एक तरफ जहां जिले में कुंभाराम नहर परियोजना का जल लाने की बात पर सरकार बड़े-बड़े दावे पेश कर रही है. वहीं खेतड़ी नगर पालिका क्षेत्र की जयपुर स्टेट हाईवे पर लूणा की ढाणी की प्राथमिक विद्यालय के विद्यार्थियों को पीने का पानी भी नसीब नहीं हो रहा है. शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही के चलते मासूम बच्चे पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं.

पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसते सरकारी स्कूल के नौनिहाल

जानकारी के अनुसार लूणा की ढाणी की राजकीय प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 5 तक पढ़ने वाले 21 बच्चे हैं और दो अध्यापिकाएं स्कूल में कार्यरत हैं. विद्यालय में पानी का टैंक भी बना हुआ है. जो इन दिनों खाली पड़ा है. विद्यालय में एक टूटा फूटा हैंडपंप भी लगा हुआ है. लेकिन, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है.

मिड-डे-मील के लिए भी नहीं पानी

ईटीवी भारत की टीम जब विद्यालय में पहुंची तो सामने आया कि स्कूल में विद्यार्थी बोतल लेकर आते हैं और उसी से पूरे दिन पानी पीते हैं. विद्यालय में खाना बनाने का काम करने वाली महिला छोटी देवी ने बताया कि विद्यालय में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. मिड डे मील का खाना बनाने के लिए उन्हें आधा किलोमीटर दूरी से पानी लाना पड़ता है. विद्यालय में पढ़ने वाली छात्रा संगीता, खुशी, नितेश, विकास, कमल, भवानी सिंह, नीरज, दीपांशु और कमल ने बताया कि वह रोज बोतल लेकर पानी अपने साथ लाते हैं. क्योंकि, विद्यालय में पीने का पानी उपलब्ध नहीं है.

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कई बार शिकायत की, परिणाम कुछ नहीं

स्कूल में विमला देवी और रंजू सैनी दो अध्यापिकाएं कार्यरत है. प्रभारी विमला देवी ने बताया कि कई बार वे स्कूल में पानी को लेकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा चुकी है. वहीं दो बार सार्वजनिक निर्माण विभाग को भी लिखित में अवगत करा चुकी है. शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को भी इसकी सूचना दी गई है. लेकिन, पानी की अब तक कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है.

बारिश का पानी संग्रहित करने के लिए लगाया पाइप, जो भी पड़ा है टूटा

जानकारी के अनुसार स्कूल परिसर में 60 हजार की लागत से एक छोटा पानी का टैंक जो बरसात के पानी को एकत्रित करने के लिए पाइप लाइन सहित बनाया गया है. उसमें आज तक पानी नहीं भरा गया. क्योंकि, पाइप लाइन टूटी पड़ी है और पानी का टैंक भी जर्जर है.

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साथ ही विद्यालय के प्रवेश द्वार में घुसते ही एक हैंडपंप लगा हुआ है, जिसको देखने से लगता है कि वर्षों से इसमें पानी कभी आया ही नहीं है. ऐसे में पूरे सरकारी सिस्टम पर अनदेखी पर भी सवाल खड़े होते हैं. वहीं सीबीईओ सुल्ताना राम का कहना है कि उन्होंने सितंबर माह में कार्यभार ग्रहण किया है. इस मामले की उन्हें पूरी जानकारी नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि वो स्कूल की विजिट कर मामले की जांच करेंगे और शीघ्र ही उपखंड अधिकारी से मिलकर विद्यालय में पानी की समस्या का समाधान कराया जाएगा.

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