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झुंझुनूं के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भरमार...विद्यार्थी कम, रिजल्ट देने में फिर भी फिसड्डी - State Senior Secondary School of Chapoli village of Udaypurwati subdivision

झुंझुनू में एक रिपोर्ट के मुताबिक कई स्कूल ऐसे हैं. जहां पर जितने पूरे स्कूल के स्टॉफ हैं. उतने ही 10वीं में पढ़ने वाले बच्चे थे. लेकिन कमाल की बात तो यह है कि उनमें से भी आधे से अधिक फेल हो गए.

स्कूलों में शिक्षकों की भरमार, विद्यार्थियों का टोटा और उनमें से भी आधे लुढ़के

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Published : Jun 10, 2019, 5:04 PM IST

झुंझुनू.जिले में शहर और उसके आसपास के स्कूलों में शिक्षकों की भरमार है. लेकिन विद्यार्थियों का टोटा है. यह ज्यादातर स्कूल ऐसे हैं. जहां पर जिला मुख्यालय या उपखंड मुख्यालयों से शिक्षक अप डाउन करते हैं.

स्कूलों में शिक्षकों की भरमार, विद्यार्थियों का टोटा और उनमें से भी आधे लुढ़के

ऐसे में राजनीतिक पहुंच या अन्य किसी जुगाड़ से बदली होने की वजह से कई स्कूलों में विद्यार्थी भले ही कम हों, लेकिन टीचर ज्यादा संख्या में हैं. कम विद्यार्थी और ज्यादा शिक्षक होने के बावजूद इन स्कूलों में पढ़ाई का माहौल न के बराबर है. यही कारण है कि सात स्कूलों का रिजल्ट तो 10वीं बोर्ड में 50 फीसदी से भी कम रहा है. ऐसे में अब शिक्षा विभाग ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने के मूड में है.

यह देखिए बानगी

  • झुंझुनू उपखंड के गांव बुडाना के स्वतंत्रता सेनानी श्री बालाराम सीनियर सेकेंडरी स्कूल में संस्था प्रधान समेत 23 शिक्षक है. यहां पर दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थी महज 10 थे. इनमें से नौ ने परीक्षा दी और परीक्षा में पास केवल तीन हुए. वहीं इस परीक्षा में विद्यार्थी फेल हो गए. यानि यहां का परीक्षा परिणाम 33.33 फीसदी रहा है.
  • उदयपुरवाटी उपखंड के गांव छापोली के राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल का दसवीं का परिणाम महज 31.17 फीसदी रहा है. यहां पर दसवीं में पढ़ने वाले 52 छात्रों में से 51 ने परीक्षा दी और केवल 16 छात्र पास हो पाए. 35 छात्र फेल हो गए. यहां पर संस्था प्रधान से लेकर चपरासी तक कुल 29 का स्टाफ है. विद्यार्थियों को पढ़ाने वाले शिक्षकों की भी बात करें तो लैब असिस्टेंट को मिलाकर कुल 24 तो टीचर्स भी हैं.
  • इसी प्रकार उदयपुरवाटी उपखंड के गांव इंद्रपुरा का शहीद देवी सिंह राजकीय आदर्श सीनियर सेकेंडरी स्कूल के हालात भी ऐसा ही है. यहां पर दसवीं में 15 विद्यार्थियों में से 6 लोग पास हुए और 9 फेल हो गए. वहीं स्टाफ की बात की जाए तो यहां पर 13 शिक्षक हैं. जिन्होंने इन विद्यार्थियों को पढ़ाया है. लेकिन इसके बावजूद परीक्षा परिणाम 40 फीसदी के आसपास ही रहा.

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