झुंझुनू. नाम है 'बजरंग लाल' पुत्र चेताराम कुमावत, निवासी गांव बॉस नानग. पेशे से शिक्षक उम्र 53 साल और एक पैर से पूरी तरह दिव्यांग. हर सुबह कोरोना के हॉट-स्पॉट बने झुंझुनू जिले के वार्ड 41 में वार्ड प्रभारी के रूप में घर-घर सर्वे करने पहुंच जाते हैं. आप सोच सकते हैं कि उम्र और दिव्यांग होने की वजह से निश्चित ही प्रशासन उनकी ड्यूटी इस कार्य से काट सकता था. लेकिन उन्होंने कहा कि यदि मुझको जिम्मेदारी मिली है तो मैं उसे पूरी ताकत से निभाऊंगा.
बचपन में एक पैर कट जाने के कारण सेना में भर्ती नहीं हो सके. उसके बाद शिक्षक बने बजरंग लाल अब तक जरूरतमंदों को नगर परिषद से 81 राशन किट और 21 हजार नकदी दिलवा चुके हैं. रोजाना वार्ड में घूम-घूमकर बाहर से आने वालों का भी सर्वे कर रहे हैं. निश्चित ही ऐसे कोरोना योद्धाओं को सलाम किया जाना चाहिए और इसी जज्बे के साथ हम कोरोना से चल रहे युद्ध में निश्चित ही जीत पाएंगे.
समाज में भी रहकर लड़ा जा सकता है युद्ध...
बजरंग ने बचपन में अपनी मां से कहा था कि मैं सेना में भर्ती होकर देश सेवा करूंगा. लेकिन उनकी अपंगता के कारण उनका सेना में सेलेक्शन नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि कर्मवीर की तरह कोरोना की जंग में लड़ाई लड़कर आज मेरे कलेजे को संतुष्टि मिल रही है. कोरोना वायरस आपदा से निपटने के लिए परम वीर पीरू सिंह राजकीय माध्यमिक विद्यालय झुंझुनू के बजरंग लाल कुमावत 27 मार्च से वार्ड नंबर 41 में ड्यूटी पर लगे हुए हैं. अपनी कर्मठता के साथ वार्डवासियों के सर्वे में जुटे हुए हैं.