झुंझुनूं:बुधवार यानी 4 नवंबर को करवा चौथ का व्रत है. इस व्रत की सारी तैयारियां एक-दो दिन पहले ही की जाती है. करवा चौथ का व्रत महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. यह त्योहार केवल सजने-संवरने का ही पर्व नहीं है, बल्कि करवा माता में पूरी तरह से आस्था रखकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करने का यह त्योहार है.
करवा चौथ का दिन हर सुहागन स्त्री के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और बेहतर स्वास्थ्य के लिए सारा दिन भूखी प्यासी रहती हैं. वहीं, रात में चांद निकलने पर छलनी में दीया रखकर अपने पति की लंबी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि वह पत्नियां कैसे करवा चौथ मनाती हैं जिनके पति भारत मां की रक्षा के लिए सरहदों पर तैनात हैं या जो देश की रक्षा करते हुए शहीद हो चुके हैं.
शेखावटी में आज भी अमर हैं शहीदों की आत्माएं
शेखावाटी की वीर भूमि की यह अद्भुत परम्परा ही है कि यहां के जवान जब बार्डर पर मां भारती की रक्षा के लिए कंपकंपाती ठंड में हाथ में बंदूक लिए खड़ा होते हैं, तो उनकी पत्नियां करवा चौथ का व्रत कर सुहाग की सलामती की दुआ मांगती हैं. यही वजह है कि दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो चुके शेखावटी के जवानों की पत्नियां भी करवा चौथ का व्रत करती हैं.
भले ही शेखावाटी की नस-नस में वीरता बहती हो, लेकिन जिनके पति निगाहेबान आंखों के साथ सर्द रातों में बार्डर पर खडे़ हों, उन पत्नियों को हर पल ये चिंता सताती रहती है कि वे वापस लौटेंगे या नहीं. ऐसे में पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाने वाला यह व्रत और भी जरूरी हो जाता है.
कैप्टन प्रताप सिंह पूनिया की पत्नी संपत्ति देवी बताती हैं कि जब पति साथ नहीं हो तो किसी भी त्योहार के लिए उतनी उत्सुकता नहीं रहती है. लेकिन यह व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. इसलिए करवा चौथ को वे पूरे धूम-धाम से मनाती हैं.
अखंड सौभाग्यवती की अरदास के साथ पति की दीर्घायु की कामना के लिए पूरे देश की सुहागिनें व्रत रखती हैं. लेकिन शेखावटी के कई लाल देश की रक्षा के लिए शहीद हो चुके हैं, ऐसे जवानों की वीरांगनाएं भी करवा चौथ का व्रत करती हैं. ये सालों से शेखावटी की परंपरा रही है.
शहीद की वीरांगनाओं का मानना है कि भले ही उनके पति अब ना रहे हों. लेकिन उनकी रूह आज भी अमर है. जिनके लिए वे यह व्रत करती हैं. इन वीरांगनाओं का मानना है कि उनके पति आज भी उनके लिए जिंदा है.
हर गांव-ढाणी की है यह कहानी