झुंझुनू. जिले में स्थानीय जीएसटी एंटी इवेजन जिला टीम ने कार्रवाई करते हुए ट्रकों से कर चोरी के मामले में 62 लाख रुपए का जुर्माना वसूला है. जिसमें एक ट्रक से 56 लाख रुपए का जुर्माना वसूला गया है. जीएसटी एंटी इवेजन टीम की इस कार्रवाई को बीकानेर संभाग में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है.
जीएसटी एंटी इवेजन के संयुक्त आयुक्त उमेश जालान ने बताया कि बीकानेर संभाग के अतिरिक्त आयुक्त हरि सिंह चारण के निर्देशन में जिले में कर चोरों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है.
ड्राई फ्रूट, काली मिर्च से लदे ट्रकों में मिली कर चोरी
अभियान के तहत स्टेट जीएसटी एंटी इवेजन झुंझुनू की टीम ने मुख्यालय के पीरू सिंह सर्किल पर कर चोरी की आशंका में ड्राई फू्रट और काली मिर्ची लदे दो ट्रकों को रोका और लदे माल की गहनता से जांच की. जिसमें सामने आया कि इन ट्रकों में भरे माल के संबंध में चालकों की ओर से कोई प्रमाणित प्रस्तुत नहीं किए जा सके, जिस पर उनसे कर चोरी का संदेह हुआ.
एक में 56 लाख और दूसरे ट्रूक पर लगाया 6 लाख का जुर्माना
कार्रवाई के दौरान दोनों वाहनों को जांच और सत्यापन के लिए कर विभाग के स्थानीय कार्यालय लाया गया. जहां जांच में कर चोरी प्रमाणित पाए जाने पर दोनों ट्रकों के विरुद्ध जीएसटी एक्ट के तहत कार्रवाई की गई. जिसमें एक ट्रक पर 56 लाख और दूसरे पर 6 लाख रुपए जुर्माना लगाया गया.
इस टीम ने दिया कार्रवाई को अंजाम
विभाग की इस कार्रवाई में संयुक्त आयुक्त जालान के साथ ही सहायक आयुक्त नवज्योत सिंह और सादुड़ाराम, राज्य कर अधिकारी सुनील जानू और राकेश कुमार धनखड़ शामिल रहे.
20 साल की उम्र में लोगों में पैदा कर रहे है सेवा भाव
देश के जाने-माने बिरला परिवार के रिश्तेदार और बिजनेसमैन मनीष मालानी के पुत्र डॉ. मधुसुदन मालानी आध्यात्मक के रास्ते चलकर युवाओं को नई प्रेरणा दे रहे है. मुंबई में रहने वाले डॉ. मधुसुदन मालानी, राजस्थानी है और झुंझुनू जिले के पिलानी कस्बे से ताल्लुक रखते हैं. इन दिनों वे पिलानी आए हुए है, जहां पर वे आध्यात्म, विज्ञान और धर्म का समावेश कर युवाओं को प्रेरित कर रहे है. 20 साल की उम्र में ही डॉ. मधुसुदन मालानी पढाई के साथ-साथ युवाओं को आध्यात्म, विज्ञान और धर्म का संदेश देने लगे है.
लोगों में पैदा कर रहे है सेवा भाव उन्होंने अपनी दो किताबें द मिबूलियंस कोड और रोड ऑफ लाइफ भी लिखी है, जो हिंदी और अंग्रेजी, दोनों ही भाषाओं में उपलब्ध है. डॉ. मधुसुदन का कहना है कि मनुष्य अपने अस्तित्व से दूर हो रहा है. उसमें सेवा भाव कम हो रहा है. पुराने ग्रंथ दोहराते है कि सेवा भाव को हमेशा सर्वोपरी रखना चाहिए. उसी दिशा में युवाओं को जोड़ने का वे भी प्रयास कर रहे है.