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स्वतंत्रता सेनानी गणपतराम का निधन, राजकीय सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई

झुंझुनू के सूरजगढ़ निवासी गणपतराम का शनिवार देर शाम को निधन हो गया. स्वतंत्रता सेनानी गणपत राम के निधन का समाचार सुनते ही इलाके में शोक की लहार छा गई. रविवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ स्वतंत्रता सेनानी को अंतिम विदाई दी गई.

Freedom fighter Ganapatram dies, स्वतंत्रता सेनानी गणपतराम का निधन
राजकीय सम्मान के साथ विदाई

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Published : Sep 27, 2020, 6:37 PM IST

सूरजगढ़ (झुंझुनू). देश की आजादी से पूर्व हुए स्वतंत्र भारत के आंदोलनों में बढ़चढ़कर भाग लेने वाले और नेताजी शुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के बहादुर सिपाही रहे गणपत राम चौधरी (कालीरमन) का शनिवार देर शाम को निधन हो गया. स्वतंत्रता सेनानी गणपत राम के निधन का समाचार सुनते ही इलाके में शोक की लहार छा गई. रविवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ स्वतंत्रता सेनानी को अंतिम विदाई दी गई.

स्वतंत्रता सेनानी गणपतराम का निधन

बता दें कि 101 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी गणपतराम के निधन का समाचार सुनते ही उनके घर पर शोक संतप्त व्यक्त करने आने वाले लोगो को तांता लग गया. इस दौरान झुंझुनू सांसद नरेंद्र खिचड, सूरजगढ़ विधायक शुभाष पूनिया सहित अन्य जन प्रतिनिधि और प्रसाशनिक अधिकारी स्वतंत्रता सेनानी के घर पहुंचे और परिजनों को ढाढ़स बढ़ाया.

स्वतंत्रता सेनानी के घर से श्मशान घाट तक राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई. अंतिम यात्रा के दौरान ग्रामीणों ने देश भक्ति से ओत पोत नारे लगाए. श्मशान घाट पर सांसद नरेंद्र खीचड़, सूरजगढ़ विधायक शुभाष पूनिया, एसडीएम अभिलाषा सिंह, डीवाईएसपी सुरेश शर्मा, तहसीलदार बंशीधर योगी, थाना अधिकारी सुरेंद्र मलिक ने स्वतंत्रता सेनानी की पार्थिव देह पर पुष्पचक्र चढ़ाकर उन्हें श्रद्धाजलि दी. पुलिस के जवानो ने उन्हें गॉड ऑफ ऑनर दिया. स्वतंत्रता सेनानी के बड़े पुत्र उम्मेद सिंह ने पिता को मुखाग्नि दी.

स्वतंत्रता सेनानी गणपतराम 1939 से लेकर 1944 तक आजाद हिंद फौज के सिपाही रहे थे. उन्होंने इस दौरान अनेक आंदोलनों में भाग लिया था. गणपतराम को देश की आजादी के बाद बड़े और राष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा जा चूका है. भारत सरकार की ओर से 1972 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ताम्र पत्र भेंटकर सम्मानित किया था.

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वही राजस्थान सरकार की ओर से भी उन्हें 1987 में ताम्र पत्र देते हुए सम्मानित किया गया था. स्वतंत्रता सेनानी गणपतराम के तीन पुत्र और छह पुत्रियां है. गणपतराम अपने अंतिम समय तक लगातार सामाजिक कार्यों और सेवाओं के लिए हमेशा से ही तत्पर रहे है. उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने आई भीड़ भी इसकी गवाही देती नजर आ रही है.

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