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स्पेशल स्टोरीः '20 राजपुताना राइफल' की स्थापना दिवस कार्यक्रम, सैनिकों ने याद किए शौर्य के पल - Foundation Day Program of 20 Rajputana Rifles

भारतीय सेना के '20 राजपुताना राइफल' का स्थापना दिवस कार्यक्रम झुंझुनू में आयोजित किया गया. जिसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से यूनिट के रिटायर्ड सैनिकों ने हिस्सा लिया. इस मौके पर यूनिट के सदस्यों ने ईटीवी भारत के संवाददाता को अपने कारनामे बताए...

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जोश के साथ होश वाली यूनिट

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Published : Jan 12, 2020, 3:02 PM IST

झुंझुनू.कोई यूनिट श्रीलंका जैसी जगह पर जाए और वहां पर जिसके समर्थन में जाए, वही लिट्टे उन पर गोलियां बरसानीं शुरू कर दें, लेकिन इसके बावजूद भी कोई नुकसान ना हो. सियाचिन, ग्लेशियर जैसी जगहों पर सेना जब जाती है तो उसे दुश्मनों से ज्यादा वहां के हालातों से ज्यादा नुकसान सहन करना पड़ता है. लेकिन कोई यूनिट वहां से भी बिना कैजुअल्टी किए हुए लौट आए. हम बात कर रहे हैं '20 राजपुताना राइफल' की. जिसकी स्थापना 1 जनवरी 1981 को की गई थी.

जोश के साथ होश वाली यूनिट

यह यूनिट अभी अरुणाचल प्रदेश में काम कर रही है. इसलिए इसका स्थापना दिवस मनाने के लिए झुंझुनू में कार्यक्रम रखा गया. जहां पर राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से सैनिकों ने हिस्सा लिया. इस दौरान यूनिट के जवान,अफसरों के साथ-साथ आपस में मिले. साथ ही अपनी पुरानी यादों को ताजा किया.

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मां जगदंबा और वीर हनुमान की कृपा

इस यूनिट में मार्शल कौम कही जाने वाली राजपूत जाट समाज के जवानों का मिश्रण है. इसलिए कहा जाता है, कि इस यूनिट पर मां जगदंबा और वीर हनुमान की विशेष कृपा रही है. इसलिए कम से कम कैजुअल्टी के बावजूद यह यूनिट अपने दिए गए टारगेट को पूरा करने में सक्षम रहती है.


श्रीलंका में 'ऑपरेशन पवन'

यूनिट की स्थापना 1 जनवरी 1981 को शनिवार के दिन हुई थी. इसके पहले सीओ सतवीर सिंह थे, जिनको यूनिट के सभी लोग प्यार से ताऊ कहते थे. इस बीच श्रीलंका में हुए 'ऑपरेशन पवन' के लिए इस यूनिट को भेजा गया. उस समय कमांडिंग ऑफिसर जोगिंदर सिंह चौहान ने इसकी कमान संभाली थी.

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इस ऑपरेशन के दौरान जिन लिट्टे के लोगों की मदद के लिए यूनिट वहां गई थी, उन लोगों ने ही जवानों पर ही गोलीबारी शुरू कर दी थी. बावजूद इसके जवानों ने डट कर उनका सामना किया. जबकि जवान बताते हैं, कि वहां कि परिस्थितियां भी विपरीत थीं. इसके बाद भी उन्होंने श्रीलंका में अपने दिए गए टास्क को किसी भी सैनिक की कैजुअल्टी के बिना पूरा किया. इस ऑपरेशन को लेकर सैनिक बताते हैं, कि उस समय हालात यह थे, कि उस एरिया को खाली कर जा चुके थे.

पूरे गांव को पाक से लाए थे लौटा कर

यूनिट के जवान 31 अगस्त 1996 को याद करते हैं, जब पता लगा, कि जम्मू-कश्मीर में एक पूरा का पूरा गांव पाकिस्तान चला गया है. वहां पर उग्रवादी कैंपों में भर्ती हो गए. इसके बाद यूनिट ने अपनी पूरी ताकत लगाई और कुल 98 लोगों को बिना किसी नुकसान के वापस लेकर आए. ये वे लोग थे, जो वापस भारत आना चाहते थे. वहीं दूसरी ओर जो लोग पाक परस्ती में ही शामिल होना चाहते थे, उनको यूनिट ने अपने जोश और होश से वहीं पर खत्म कर दिया. इस दौरान यूनिट पाक के सौरभ खान नाम के व्यक्ति को भी पकड़ कर लाई, जो इन लोगों को वहां ले जाने में बड़ी भूमिका निभा रहा था.


सियाचिन ग्लेशियर से बिना कैजुअल्टी के लौटी यूनिट

कमांडिंग ऑफिसर जोगेंद्र सिंह चौहान के पुत्र अतुल चौहान भी इस यूनिट को कमांड कर चुके हैं. सियाचिन ग्लेशियर के दौरान वे इस यूनिट को संभाल रहे थे. इस दौरान टुकड़ी 2 साल तक वहां रही. यूनिट बिना किसी जवान को खोए अपना टास्क पूरा कर वापस नीचे लौटी.

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