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तालाब : ईटीवी भारत की मुहिम लाई रंग...30 साल से प्यासी जोहड़ी का फिर से हुआ गला तर

प्रदेश में जोहड़ों, बांधों और अन्य पेयजल स्रोतों की स्थिति देखरेख के अभाव में बदहाल हो चुकी थी. ऐसे में ईटीवी भारत ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए इन जोहड़ों को फिर से पुनर्जीवित करने की मुहिम शुरू की. इसके लिए प्रदेश में लोगों को खबरों के जरिए उन्हें इससे जुड़ने के लिए प्रेरित किया.

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Published : Aug 1, 2019, 5:24 PM IST

thirsty pond fill with water again

झुंझुनू. ईटीवी भारत अपनी मुहिम की कड़ी में झुंझुनू के मलसीसर कस्बा पहुंचा तो पता चला कि यहां पर एक बंका सेठ की जोहड़ी है जो पिछले 30 सालों से अपने अस्तित्व को खोती जा रही है. कभी गांव का प्यास बुझाने वाली यह जौहड़ी आज खुद प्यासी थी. बुजुर्गों ने बताया कि यह जौहड़ी 100 बीघे में फैली हुई थी. इसमें बरसात का पानी भर जाता था. जिसके बाद इस पानी का इस्तेमाल सिंचाई, पशु को पिलाने और अन्य कामों में लिया जाता था. साथ ही इस जौहड़ी के भरने से आस-पास भूजल स्तर भी काफी अच्छे स्तर पर रहता था.

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ईटीवी भारत की मुहिम के साथ ग्रामीण जुड़े साथ ही यह बात प्रशासन को भी पता चली. जिसके बाद झुंझुनू के कलेक्टर रवि जैन ने भी मुहिम के साथ जुड़ने का फैसला किया. वो खुद फावड़ा और साथ में प्रशासनिक लाव लश्कर लेकर बंका सेठ की जौहड़ी पर पहुंचे और ग्रामीणों की सहयोग से जौहड़ी की खुदाई शुरू कर दी. ईटीवी भारत की अपील से बंका सेठ की जौहड़ी में खुदाई का काम पूरा हो गया. इस काम को लेकर कलेक्टर रवि जैन ने ईटीवी भारत की तारीफ भी की.

30 साल से प्यासी बंका सेठ की जोहड़ी का फिर से हुआ गला तर

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बंका सेठ की जौहड़ी की खुदाई हो चुकी थी. वर्षों से प्यासी जौहड़ी फिर से अपने स्वरूप में लौट चुकी थी. पर अब जरूरत थी तो इंद्रदेव की मेहरबानी की. कहते हैं अच्छी सोच को भगवान का भी साथ मिलता है. ऐसा ही हुआ. झुंझुनू में बादल जमकर बरसे. जिसके बाद बंका सेठ की जौहड़ी में पानी भरने लगा. लेकिन सालों से प्यासी यह बावड़ी ने सारा पानी अपनी गर्भ में समा लिया. इसके बाद अब इसमें पानी इकठ्ठा होना शुरू हो गया है. जिसे देख कर गांव के बुजुर्ग, युवा और बच्चे सभी काफी खुश हैं.

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ईटीवी भारत की मुहिम तालाब धीरे-धीरे रंग लाना शुरू कर चुकी है. अब यह सिलसिला और आगे बढ़ेगा. राजस्थान समेत देश के अन्य प्रदेश में भी ऐसे ही जोहड़ और तालाब जो अपना अस्तित्व खो रहे हैं, उन्हें फिर जीवित करने के लिए ईटीवी आगे भी अपनी जिम्मेदारी को निभाता रहेगा.

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