झुंझुनू. ईटीवी भारत ने पानी की महत्ता को समझते हुए जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर मलसीसर कस्बे के पास स्थित बंका सेठ की जोहड़ी में गत बारिश से पहले खुदाई करवाई थी. वहां करीब 30 साल बाद पानी आया था. बंका सेठ की जोहड़ी ने करीब 6 महीने में ही पूरा पानी अपने गर्भ में समा लिया था, लेकिन पानी से जो वहां का जलस्तर बढ़ा है उसकी वजह से वहां आसपास रेगिस्तानी फूलदार पौधे उग आए हैं. इसके साथ ही दूसरी ओर पास में खड़े हुए खेजड़ी के पेड़ों को भी नया जीवनदान मिला है.
इस बार लबालब होने की उम्मीद
जल सरंक्षण के परंपरागत स्रोत के रूप में राजस्थान में पुरातन काल से ही जोहड़े बनाए जाते थे. लगातार पानी आने की वजह से उनमें एक परत बन जाया करती थी और इस वजह से पानी बहुत धीमी गति से धरती के गर्भ में समाया करता था. इससे एक तरफ वह पशुओं की लगभग सालभर तक प्यास बुझाया करती थी. दूसरी ओर पानी भी धीरे-धीरे रिसने से जलस्तर भी बरकरार रहा करता था. अब बंका सेठ की जोहड़ी में गत 30 साल के बाद पानी आने की वजह से जल्दी पानी समा गया, लेकिन इस बार से एक परत बनना शुरू हो जाएगा और संभवतः लंबे समय तक ना केवल पानी रहेगा बल्कि जलस्तर को आगे बढ़ाने के लिए धीरे-धीरे रिसता हुआ पानी धरती के गर्भ में जाएगा.
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