झुंझुनूं. राजस्थान में पानी की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. प्रदेश के जलाशय, बांध और नदियां अपना दम तोड़ रही हैं. झुंझुनूं जिले के मलसीसर कस्बे में एक 100 बीघा में फैली जोहड़ी है जो वक्त के साथ धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खोती रही. हालत ये है कि अब यह जोहड़ी 30 सालों में सिर्फ सांकेतिक रूप से यह अपना वजूद जिंदा रखे हुए हैं. ईटीवी भारत अपनी मुहिम बिन पानी सब सून के बारे में जब गांव के सरपंच, जिला एसडीएम, रवि जैन जिला कलेक्टर से बात की तो सभी ने ना सिर्फ हमारी इस मुहिम की तारिफ की बल्की खुद फावड़ा उठाकर श्रमदान भी दिया.
वहीं पंचालय समिति प्रधान गिरधारी लाला खीचड़ ने कहा की हम लंबे समय से ऐसा कुछ करना चाहते थे लेकिन संभव नहीं हो पा रहा था. अब ईटीवी भारत के जरिए हमको कुछ करने का एक प्लेटफॉर्ट मिल गया है. इतना ही नहीं इस मुहिम से प्रभावित होकर स्थानिय हैलेना कौशिक महिला कॉलेज की प्राचार्या डा. आशा शर्मा और उनकी सैंकडों छात्राएं भी पहुंची और श्रमदान किया. श्रमदान करने पहुंची छात्राओं से भी हमने बात करी आखिर वो क्या सोचती है जल संरक्षम को लेकर.
झुंझुनूं की जोहड़ी को बचाने के लिए ईटीवी भारत की मुहिम में आम आदमी से लेकर कलेक्टर तक जुड़े - campaign
राजस्थान में पानी की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. प्रदेश के जलाशय, बांध और नदियां अपना दम तोड़ रही हैं. झुंझुनूं की जोहड़ी को बचाने के लिए ईटीवी भारत की मुहिम में आम आदमी से लेकर कलेक्टर तक जुड़े.
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झुंझुनूं की जोहड़ी को बचाने के लिए ईटीवी भारत की मुहिम में आम आदमी से लेकर कलेक्टर तक जुड़े
झुंझुनूं की जोहड़ी को बचाने के लिए ईटीवी भारत की मुहिम में आम आदमी से लेकर कलेक्टर तक जुड़े
यहां पर ग्रामीणों के साथ-साथ प्रशासन भी हमारी मुहिम के साथ आया. कलेक्टर रवि जैन ने खुद यहां पर ग्रामीणों के साथ मिलकर जोहड़ी से मिट्टी निकालने की काम शुरू किया. इस प्रयास के बाद उम्मीद जगी है कि यह जोहड़ी फिर से अपने पुराने स्वरूप में लौटेगी. और मलसीसर कस्बे के लोगों और जानवरों के लिए यह फिर से उसी तरह उपयोगी साबित होगी जैसे कि इसका जिक्र इतिहास में है.
Last Updated : Jul 26, 2019, 12:49 PM IST