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प्रकृति के अंधाधुन दोहन से पैदा हो रहे जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर संकट - स्वयंसेवी संस्था सिकोइडिकोन

झुंझुनू के शेखावाटी में विभिन्न गैर सरकारी संगठनों की ओर से सतत विकास के लक्ष्य को लेकर झुंझुनू में मंथन किया गया. इसमें झुंझुनू सहित शेखावाटी की पर्यावरणीय समस्याओं को लेकर गंभीर चिंता जताई गई.

झुंझुनू की खबर, continuous development

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Published : Sep 20, 2019, 5:29 PM IST

झुंझुनू. पिछले कुछ दशकों से प्रकृति के अत्याधिक दोहन के कारण जलवायु परिवर्तन का संकट पैदा हो गया है. मानव को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं. ऐसे में विकास लक्ष्यों को संवेदनशील बनाकर सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण विकास में संतुलन स्थापित किया जाना जरूरी है. यह विचार वह यहां सारथी संस्था सूरजगढ़ की ओर से आयोजित सतत विकास पर कार्यशाला में उभरकर सामने आए.

अंधाधुन दोहन से पैदा हो रहे जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर संकट

अंधाधुंध प्रवृत्ति की वजह से हो रहा है नुकसान

मुख्य वक्ता स्वयंसेवी संस्था सिकोइडिकोन के उपनिदेशक डॉ आलोक व्यास ने कहा कि कि धरती और प्रकृति मनुष्य की हर जरूरत को पूरा कर सकती है. लेकिन मनुष्य के लालच को पूरा नहीं कर सकती. हमने इतना लालच किया कि हर चीज का अंधाधुंध दोहन करने लगे इसी के दुष्परिणाम आज हमें भुगतने पड़ रहे हैं. इसलिए हर चीज में संतुलन बनाए रखना आज की सबसे बड़ी जरूरत है.

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कार्य योजना की है आवश्यकता

सारथी संस्था के सचिव राजेंद्र सेन ने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों को समझते हुए उसके अनुरूप कार्य योजना बनाने की आवश्यकता है. सदस्यों ने सतत विकास के लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों की चर्चा की. सतत विकास गरीबी, भूखमरी, उन्मूलन, शिक्षा, स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, पोषण, कृषि, जल सरंक्षण और विश्व शांति, जेंडर समानता, आजीविका जैसे लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सुझाव दिए गए.

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