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हाइब्रिड फॉर्मूले पर गहलोत बनाम पायलट, मीणा-खाचरियावास के बाद सचिन भी असहमत - मंडावा से कांग्रेस प्रत्याशी रीटा चौधरी

मंडावा उपचुनाव प्रचार के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच एक बार फिर रार खुलकर सामने आई. इस बार मसला निकायों में 'हाइब्रिड फॉर्मूले' से प्रमुख चुनने का है. जिसे लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थन में तो डिप्टी सीएम पायलट विरोध में नजर आते हैं.

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Published : Oct 18, 2019, 8:54 PM IST

झुंझुनू. मंडावा से कांग्रेस प्रत्याशी रीटा चौधरी के समर्थन में वोट मांगने पहुंचे दोनों नेताओं ने शुक्रवार को पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामनारायण चौधरी के जयंती के कार्यक्रम में एक साथ शिरकत की थी. इसके बाद अलग-अलग जगह मीडिया से मुखातिब होते हुए दोनों नेताओं ने 'हाइब्रिड फॉर्मूले' पर अपने बयान दिए. जिसमें संगठन में विवाद को लेकर उपजे हालात को सीएम अशोक गहलोत ने मीडिया की उपज बताया तो वहीं सचिन पायलट ने इस मसले पर संगठन की तरफ से विरोध जाहिर किया.

निकाय प्रमुख चुनाव को लेकर उप मुख्यमंत्री पायलट का बयान

गौरतलब है कि खाद्य मंत्री रमेश मीणा और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी इस मसले पर अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं. दोनों नेताओं को पायलट कैंप के करीबी समझा जाता है. ऐसे में समझा जा रहा है कि निकाय चुनाव की रणनीति को लेकर कलह कांग्रेस के बीच आने वाले वक्त में और बढ़ सकती है. वहीं मीडिया सा बात करते हुए सचिन पायलट ने कहा कि हाइब्रिड मेयर, सभापति चुनने की चर्चा कैबिनेट में नहीं हुई है.

पढ़ें : निकायों में 'हाइब्रिड फॉर्मूले' को गहलोत ने बताया लोकतंत्र की ताकत

जो पार्षद का चुनाव नहीं जीत सकता, उसको सीधा मेयर बनाना गलत...
उन्होंने कहा कि हमने पहले सीधे अध्यक्ष चुनने की बात कही थी लेकिन उसको बाद में बदल दिया गया, वहां तक तो ठीक था. लेकिन 'हाइब्रिड' नाम दिया जा रहा है. मैं समझता हूं कि यह निर्णय सही नहीं है. मैं तो महाराष्ट्र चुनाव में प्रचार में लगा हुआ था. हमें तो यह जानकारी अखबारों से मिली. जो पार्षद का चुनाव नहीं जीत सकता, उसको सीधा मेयर बनाना गलत है.

इससे होगी बैकडोर एंट्री...
पायलट ने कहा कि चुनाव हो तो इसका एक मैसेज हो कि चुनाव हो रहे हैं. अपने प्रतिनिधि चुन रहे हैं. लेकिन इसे लेकर ना ही विधायक दल में, ना ही सदन में और ना ही कैबिनेट में चर्चा हुई है. मंत्री महोदय यदि नगरपालिका एक्ट के तहत यह निर्णय लेना चाहते हैं तो यह व्यवहारिक नहीं है. राजनीतिक दृष्टिकोण से सही नहीं है. मुझे नहीं लगता है कि हिंदुस्तान के किसी भी राज्य में ऐसा नहीं है और इस निर्णय में बदलाव करने की जरूरत है. इसमें बैकडोर एंट्री होगी. इसमें लोकतंत्र को मजबूत करने वाली बात नहीं होगी. कांग्रेस ने हमेशा कहा है कि सीधा चुनाव हो और जनता से सीधा जुड़ाव हो.

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