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संघर्ष की अजब कहानी: जूते सिल कर बेटियों को बना रहे डॉक्टर, सिर पर हो गया है कर्ज - Rajasthan hindi news

हर माता-पिता का सपना होता है कि उनके बच्चों को जीवन में सफलता मिले. जिले के गुढ़ा तहसील के निकटवर्ती पौंख गांव के प्रकाश रसगनीया ने भी अपनी बेटियों के लिए कुछ ऐसे ही सपने देखे औऱ उसके लिए जी तोड़ मेहनत की. आज प्रकाश रसगनीयां अपनी दोनों बेटियों को डॉक्टर की पढ़ाई (Cobbler daughters studying for doctor) करवा रहे हैं.

Cobbler is making his daughters doctor
Cobbler is making his daughters doctor

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Published : Nov 13, 2022, 6:12 PM IST

झुंझुनू. झुंझुनू के प्रकाश रसगनिया का जूते-चप्पल सिलने का काम है, लेकिन बेटियों की शिक्षा से उन्होंने कभी समझौता नहीं किया. दिन रात मेहनत कर और कर्ज लेकर भी उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को अच्छी तालीम दी जिसका फल उन्हें आज मिल रहा है. प्रकाश चन्द रसगनियां की दोनों बेटियां डॉक्टरी की पढ़ाई (Cobbler is making his daughters doctor) कर रही हैं. एक बेटी एमबीबीएस कर रही है तो दूसरी होम्योपैथिक कॉलेज में पढ़ाई कर रही है. प्रकाश का कहना है कि बेटियां डॉक्टर बन जाएं यही उनका सपना है.

प्रकाश की एक बेटी अंजेश एमबीबीएस में अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही है जबकि दूसरी बेटी पूजा होम्योपैथिक चिकित्सा में द्वितीय वर्ष की पढ़ाई (Cobbler daughters studying for doctor) कर रही है. दोनों बेटियों का सपना है कि कोई गरीब पैसों की कमी के कारण बिना इलाज के न रह जाए. दोनों बेसहारा बच्चों को पढ़ा भी रही हैं.

Cobbler is making his daughters doctor

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चाहती हैं कि गरीब के बच्चे डॉक्टर बनें और लोगों की सेवा करें
प्रकाश ने बताया कि वे गांव में जूते सिलने का काम करते हैं और उनकी पत्नी छोटी देवी मनरेगा मजदूर हैं. दोनों बेटियां शुरू से ही पढ़ाई में तेज थीं. हमेशा उन्हें स्कॉलरशिप और प्रतिभा सम्मान मिला है. पिता प्रकाशचन्द रसगनियां ने बताया कि जूता सिलाई व बनाने का उनका पैतृक काम है. उसके इस काम में उसकी पत्नी छोटी देवी, बेटी पूजा व अंजेश भी हाथ बंटाती हैं. अब भी दोनों बेटियां छुट्टियों में घर आती हैं तो उसके साथ बैठकर जूते बनाने के काम में मदद करती हैं. प्रकाश बताते हैं कि पढ़ाई और बाहर रहने का खर्च इतना होता है कि खुद के लिए कुछ नहीं कर पाते. कर्ज भी हो गया है सिर पर लेकिन लगता है कि बेटियां कुछ बन जाएंगी तो उन्हें हमारे जैसी जिंदगी नहीं जीनी पड़ेगी.

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विज्ञान की पढ़ाई के लिए बाहर जाना पड़ा
पूजा और अंजेश ने बताया कि दसवीं तक गांव के सरकारी विद्यालय में उन्होंने शिक्षा ली. गांव में विज्ञान विषय नहीं होने के कारण उन्हें बाहर निजी विद्यालय में 12वीं तक पढ़ाई करनी पड़ी. दोनों ने 2017 में 12वीं की पढ़ाई पूरी की. अगले साल 2018 में छोटी बहन अंजेश का एमबीबीएस में चयन हुआ. अंजेश झालावाड़ राजकीय मेडिकल कॉलेज में अंतिम वर्ष में अध्ययनरत है. बड़ी बहन पूजा का 2020 में होम्योपैथिक चिकित्सक के लिए शहीद हरिप्रसाद मल राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल बड़हलगंज गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) में चयन हुआ. वह द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही है.

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