झुंझनू.लंबे समय से कांग्रेस के गढ़ सैनिक और उद्योगपतियों की नगरी झुंझनू ने विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की झोली भर दी. लेकिन इसके बावजूद जिले का दामन खाली ही रहा. दरअसल, जिले की 7 विधानसभाओं में से 6 पर कांग्रेस का कब्जा है. लेकिन गहलोत सरकार में मंत्री एक भी नहीं है और ना ही अब तक कोई राजनीतिक नियुक्ति हुई. वहीं, अब राजनीतिक उठापटक के बीच एक विधायक को छोड़कर सभी विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे में दिखाई दे रहे हैं.
मंडावा विधानसभा से कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रामनारायण चौधरी की पुत्री रीटा चौधरी विधायक हैं. साल 2013 के चुनाव में सिटिंग एमएलए होने के बाद भी उनका टिकट काट दिया गया था और इसलिए वे गहलोत से खासी नाराज थीं. बाद में सचिन पायटल के अध्यक्ष कार्यकाल में उनकी वापसी हुई, इसमें पायलट का खासा योगदान था.
विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने पोस्टरों में मुख्यमंत्री गहलोत का फोटो तक नहीं लगाया था. लेकिन यहां के विधायक नरेंद्र खीचड़ के सांसद बन जाने के बाद हुए उपचुनाव में वे वापस गहलोत के नजदीक आ गई. सीएम गहलोत को भी लगा कि यहां की सीट केवल रीटा चौधरी ही कांग्रेस की झोली में डाल सकती हैं, इसलिए मुख्यमंत्री के चलते रीटा चौधरी के इशारों पर जमकर काम हुए और अब वे गहलोत खेमे में हैं.
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उदयपुरवाटी विधानसभा के विधायक राजेंद्र गुढ़ा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीकी माने जाते हैं और बताया जाता है कि दोनों बार बसपा के सभी विधायकों को कांग्रेस में लाने में उनकी विशेष भूमिका रही थी. ऐसे में लगभग तय है कि वे मुख्यमंत्री के साथ ही रहेंगे और सरकार रहने की स्थिति में इसकी एवज में गत गहलोत सरकार की तरफ से उन्हें मंत्री पद का तोहफा मिल सकता है.