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बीजेपी कार्यकर्ताओं ने नेता जी की जयंती पर मनाया 'पराक्रम दिवस'

नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर प्रदेश भर में कार्यक्रम हो रहे हैं. झुंझुनू जिले में भी भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं ने नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाते हुए नेता जी को भावभीनी श्रद्धांजलि दी.

Subhash Chandra Bose Jayanti, Subhash Chandra Bose Jayanti in Jhunjhunu
बीजेपी कार्यकर्ताओं ने नेता जी की जयंती पर मनाया 'पराक्रम दिवस'

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Published : Jan 23, 2021, 9:20 PM IST

झुंझुनू. जिले भर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती की खास धूम रही. इसी में भारतीय जनता पार्टी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाई. पार्टी के जिला कार्यालय में पार्टी पदाधिकारियों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की. नेताजी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए जिलाध्यक्ष पवन मांवडिया ने बताया कि देश के युवाओं में राष्ट्रभक्ति की अलख जगाने और आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें सदैव नेताजी को याद किया जाएगा. जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भारत माता को समर्पित कर दिया.

बीजेपी कार्यकर्ताओं ने नेता जी की जयंती पर मनाया 'पराक्रम दिवस'

इसी प्रकार मंडावा कस्बे के सुभाष चौक स्थापित नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्राचीन प्रतिमा की विशेष रूप से साफ-सफाई की गई. इसी के साथ भाजपा नगर मंडल मंडावा की ओर से यहां नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती मनाई गई. इस मौके पर भाजपा जिला उपाध्यक्ष एवं निकाय चुनाव संयोजक इंजी. प्यारेलाल ढूकिया ने कहा कि नेताजी का जीवन प्रेरणा से परिपूर्ण है. जिसका विशेष रूप से युवाओं को नेताजी के प्रेरक प्रसंगों से कुछ सीखना चाहिए.

ढूकिया ने बताया कि नेताजी का जन्म उड़ीसा के कटक में हुआ था और विदेश में पढ़ाई कर उन्होंने आईसीएस की परीक्षा पास की. कुछ समय आईसीएस की सेवा में योगदान भी दिया, लेकिन जब स्वदेश लौटे, तब देश में अंग्रेजी का शोषण चरम पर था. इसके बाद नेताजी अंग्रेजों से देश को आजाद कराने के लिए महात्मा गांधी के साथ हो गए, लेकिन महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा की राह पर असहयोग आंदोलन से देश को आजाद कराना चाहते थे. इसी में नेताजी का उद्देश्य भी देश की आजादी थी, लेकिन मार्ग अलग था.

पढ़ें-बस्सी: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती, तस्वीर पर माल्यार्पण कर दी गई श्रद्धांजलि

नेताजी ने अंग्रेजों के दुश्मन देश जर्मनी व जापान का प्रवास किया और उनके साथ आजाद हिंद फौज का गठन कर तुम मुझे खून दो मैं तुझे आजादी दूंगा का नारा बुलंद किया. साथ ही देश के नौजवानों को संगठित कर देश को आजाद कराने की मुहिम छेड़ दी. ढूकिया ने उपस्थित लोगों को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवनी का अध्ययन करने और देश हित में उनके आदर्शों को आत्मसात करने का संदेश दिया.

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