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जयपुर महापौर निलंबन मामला: BJP ने निलंबन की कार्रवाई को बताया लोकतंत्र की हत्या, राज्यपाल के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन - jaipur mayor suspension case

जयपुर नगर निगम ग्रेटर की महापौर और तीन पार्षदों के निलंबन के बाद से ही बीजेपी बौखलाई हुई है. वह गहलोत सरकार पर तरह-तरह की आरोप मढ़ रही है. शुक्रवार को झुंझुनू के भाजपा नेताओं ने राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन दिया.

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झुंझुनू कलेक्टर को ज्ञापन

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Published : Jun 11, 2021, 7:19 PM IST

झुंझुनू. राज्य सरकार की ओर से महापौर एवं पार्षदों के अवैधानिक तरीके से किए गए निलंबन को लेकर भाजपा के पदाधिकारियों ने शुक्रवार को राज्यपाल के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. जिला प्रवक्ता एवं नगर मंडल अध्यक्ष कमल कांत शर्मा के नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन दिया. ज्ञापन में राजस्थान राज्य कि कांग्रेस सरकार द्वारा कानून का दुरुपयोग कर जयपुर नगर निगम ग्रेटर (jaipur mayor suspension case) की निर्वाचित बीजेपी की महापौर सौम्या गुर्जर (mayor saumya gurjar suspension) व निर्वाचित भाजपा पार्षद अजय सिंह चौहान, शंकर शर्मा तथा पारस जैन को अवैधानिक रूप से निलंबन की कार्रवाई को लोकतंत्र की हत्या बताया.

महापौर के निर्वाचन के साथ ही हो रहे थे बोर्ड को अस्थिर करने के प्रयास

कमल कांत शर्मा ने बताया कि जयपुर महानगर में नगर पालिका अधिनियम 2009 के अंतर्गत अक्टूबर 2020 में जयपुर नगर निगम ग्रेटर महानगर के पार्षद गणों का चुनाव संपन्न हुआ था, जिसमें भाजपा की सौम्या गुर्जर को महापौर चुना गया था. जयपुर नगर निगम ग्रेटर में बीजेपी की महापौर और बोर्ड बनने के बाद से ही राज्य की कांग्रेस सरकार में नगर निगम जयपुर ग्रेटर की महापौर और बोर्ड के कार्यों में बाधा पहुंचाना प्रारंभ कर दिया था.

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उन्होंने कहा कि बोर्ड के चेयरमैनों के निर्वाचन के मामले में भी राज्य सरकार ने परेशानी की, तब माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ही विभिन्न समितियों के चेयरमैन अपना पद ग्रहण कर पाए. इस प्रकार राज्य की कांग्रेस सरकार का प्रारंभ से ही भारतीय जनता पार्टी के बोर्ड को कानून की गलत व्याख्या कर आस्थिर करने का प्रयास किया जा रहा है.

राज्य सरकार को वैकल्पिक सफाई व्यवस्था के प्रयास नहीं आ रहे थे रास

ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि जयपुर शहर में सफाई की सही व्यवस्था नहीं हो पाने को लेकर जिस कंपनी द्वारा सफाई व्यवस्था की जा रही थी वह कार्य को ठीक से संपादित नहीं कर रही थी. जिससे शहर में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई और गंदगी के ढेर होने लगे. कोविड-19 के दौरान गंदगी से महामारी फैलने के अंदेशे से जनता में भय व्याप्त था.

इसको लेकर महापौर गुर्जर ने सफाई की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए बैठक रखी, जिसमें नगर निगम आयुक्त यज्ञ मित्र सिंह देव ने बदसलूकी की. उसके बाद राज्य सरकार के साथ मिलकर रातों-रात निलंबन का कार्य किया गया, जो कि लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ है.

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