राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

स्पेशल: बिना सामाजिक समरसता बिगाड़े सभी जातियों का श्मशान स्थल लोगों से हो रहा गुलजार

झुंझूनू शहर में एक ऐसा स्थान स्थित है, जहां पर कब्रिस्तान और मुक्तिधाम दोनों मौजूद है. दरअसल, कब्रिस्तान मुस्लिमों का तो वहीं मुक्तिधाम हिन्दुओं के मोक्ष का स्थल है. यह मुक्तिधाम कुछ साल पहले बिल्कुल दयनीय स्थिति में था, लेकिन शहर के कुछ लोगों के सहयोग से आज यह मुक्तिधाम बिल्कुल गुलजार हो गया है और रोजाना यहां लोग सुबह-शाम सैर करने आते हैं.

झुंझूनू में श्मशान स्थल  बीबाणी मुक्तिधाम झुंझूनू  हिन्दू और मुस्लिम का श्मशान स्थल  दादाबाड़ी एरिया  कई जातियों का श्मशान स्थल  Jhunjhunu news  Rajasthan news  News of social harmony  Cremation site in Jhunjhunu
श्मशान स्थल लोगों से हो रहा गुलजार

By

Published : Oct 17, 2020, 10:29 PM IST

झुंझुनू.एक ओर कब्रिस्तान, दूसरी ओर मुक्तिधाम. मुक्तिधाम, झुंझुनू शहर में रहने वाली सभी जातियों का श्मशान स्थल है. लेकिन कौन उसकी सार-संभाल करे, कौन ऐसा कर दे कि यहां आने वाले हरियाली के जरिए अपनों के गमों पर मरहम लग सके. करीब दस साल पहले कुछ लोगों ने ऐसा बीड़ा उठाया कि अब यह मुक्तिधाम नहीं रहकर घूमने का स्थान बन गया है.

श्मशान स्थल लोगों से हो रहा गुलजार

बता दें कि उन बीड़ा उठाने वालों में कुछ इसी धाम में चिर निद्रा में हैं. कुछ उम्र के भार के अस्वस्थ होने की वजह से आज यहां आ नहीं पाते हैं. लेकिन उन लोगों की जिजीविषा को लोग आज भी याद करते हैं. दरअसल, एक ओर कब्रिस्तान होने और दूसरी ओर सभी जातियों के श्मशान होने की वजह से मामूली फेरबदल पर भी सामाजिक समरसता बिगड़ने का डर सता रहा था.

पास-पास मौजूद है कब्रिस्तान और मुक्तिधाम

बैंक प्रबंधक ने उठाया था बीड़ा

बीड़ा उठाने वालों में से एक शहर के जैन दादाबाड़ी निवासी रिटायर्ड बैंक प्रबंधक झाबरमल पुजारी के पौत्र अनूप कुमार पुरोहित के अनुसार दस साल पहले लोग बीबाणी मुक्तिधाम में परिचित और रिश्तेदारों के अंतिम संस्कार कार्यक्रमों में आते थे. ऐसे में यहां आने वाले लोगों को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. उबड़-खाबड़ मिट्टी और कटीली झाड़ियों से घिरे मुक्तिधाम पर पहुंचना मुश्किलों भरा था. तब चुनिंदा लोगों के मन में ख्याल आया कि क्यों न मुक्तिधाम की साफ-सफाई कर सुंदर बनाया जाए.

पार्क में आकर आनंद लेते लोग

यह भी पढ़ें:स्पेशल: मशरूम की खेती को लेकर गंगानगर के युवाओं में क्रेज, जानें क्या है इसकी वजह...

यह काम चुनौती भरा था, मगर लोगों ने हौसला नहीं हारा और सभी जातियों के प्रतिनिधियों से मिल-बैठकर मुक्तिधाम की दशा सुधारने पर चर्चा की और बीबाणी मुक्तिधाम समिति का गठन किया. इसमें हर जाति का एक-एक सदस्य शामिल करते हुए मुक्तिधाम की साफ-सफाई कर सुंदर जगह बनाने का काम तय किया. यह कारवां लगातार बढ़ता गया और आज शहर के सबसे सुन्दरतम पार्कों में एक है. जहां न केवल लोग अपनों के अंतिम संस्कार में आने के दौरान सुकून पाते हैं. बल्कि सुबह से शाम तक यहां लोग घूमने आते हैं.

लोगों द्वारा करवाए गए कार्य

इस तरह से साल दर साल हुआ है काम

नेक कार्य आगे बढ़ने लगा था तो यहां की करीब 60 बीघा जमीन को झुंझूनू नगर परिषद के सहयोग से साफ करवाया गया. लोगों के प्रयास से मुक्तिधाम के चारों तरफ चारदीवारी करवाई गई. उसके बाद पूरे क्षेत्र में 1 हजार छायादार पौधे लगवाए गए. यहां इस कार्य को देखकर और अन्य संगठन भी आगे आए. रोटरी क्लब ने 500 और क्रेशर यूनियन ने भी इतने ही छायादार पेड़ लगवाए.

यह भी पढ़ें:स्पेशल: पूर्वजों की याद में लगाए पौधे, वृक्ष बनकर महकेंगे...15 दिन में लग गए 500 पौधे

यहां पर अब भी कई लोग पार्क की सेवा में पूरा दिन गुजारते हैं. वे लोग सुबह 7 से 11 बजे तक रहकर यहां लगे पेड़ों की निराई-गुड़ाई और कंटाई-छंटाई व पेड़-पौधों में पानी देने का कार्य करते हैं. शाम को 5 से 7.30 बजे तक भी पार्क की देखभाल करते हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details