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झुंझुनूः केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन...की ये मांग

झुंझुनू में भीम आर्मी एकता मिशन ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान केंद्र सरकार के सामने कई मांगें रखी हैं.

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झुंझुनू में भीम आर्मी एकता मिशन ने किया विरोध प्रदर्शन

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Published : Sep 24, 2020, 6:40 PM IST

झुंझुनू.केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ भीम आर्मी एकता मिशन लगातार अपनी नाराजगी जताती रहती है. इसी क्रम में गुरुवार को सरकारी क्षेत्रों के निजीकरण पर रोक, अन्य निजी क्षेत्र में एससी, एसटी और ओबीसी को आरक्षण, युवाओं को रोजगार और किसान विरोधी विधेयकों को रद्द करने को लेकर भीम आर्मी एकता मिशन ने विरोध प्रदर्शन किया.

झुंझुनू में भीम आर्मी एकता मिशन ने किया विरोध प्रदर्शन

भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने कहा कि समाज में कल्याणकारी राज्य की स्थापना सुनिश्चित करने के लिए भारतीय संविधान ने समस्त नागरिकों को समान अधिकार दिए हैं. साथ ही सदियों से सामाजिक बहिष्कार और शोषण के शिकार रहे वंचित समुदाय के लोगों को राष्ट्र के विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है. मगर अफसोस कि संविधान लागू होने के इतने वर्षों बाद भी किसी भी विभाग में इन वर्गों का निर्धारित आरक्षण आज तक पूरा नहीं किया गया.

आरक्षण पर हमला है निजीकरण...

जिन-जिन उपक्रमों संस्थानों विभागों में आरक्षण का प्रावधान नहीं है, वहां इन वर्गों का प्रतिनिधित्व शून्य है. वहीं, निजी क्षेत्रों में आरक्षण नहीं है. ऐसे में हर एक निजीकरण को आरक्षण पर प्रत्यक्षत हमले के रूप में देखा जाना चाहिए. वर्तमान केंद्र सरकार कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को जोड़कर जातिवाद और पूंजीवादी व्यवस्था को देश पर थोप रही है. जिससे देश के कमजोर शोषित और वंचित वर्ग के लोग लगभग बर्बादी के कगार पर खड़े हो चुके हैं.

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ऐसे में भीम आर्मी एकता मिशन ने केंद्र सरकार से मांग की है कि, सरकारी संस्थाओं और उपक्रमों विभागों का निजीकरण तत्काल प्रभाव से रोका जाए. निजी क्षेत्रों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय को आनुपातिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित किया जाए. साथ ही लेटरल एंट्री आउटसोर्सिंग और संविदा जैसी छात्र विरोधी नीतियों को त्याग कर युवाओं को रोजगार सुनिश्चित किया जाए. इसके अलावा सफाई कर्मचारियों की अस्थाई नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से स्थाई नियुक्त सुनिश्चित किया जाए और वर्तमान सत्र में पास किए गए तीनों किसान विरोधी कृषि विधेयकों को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए.

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