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Published : Oct 28, 2019, 8:17 PM IST

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झुंझुनू: सूरजगढ़ कस्बे में हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया अन्नकूट महोत्सव

झुंझुनू के सूरजगढ़ कस्बे में दीपावली के दूसरे दिन भगवान श्रीकृष्ण का गोवर्धन पर्व भी खूब उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया. इसके साथ ही सूरजगढ़ के मंदिरो में अन्नकूट महोत्सव का भी आयोजन हुआ.

Mahant Krantidas Maharaj, झुंझुनू की खबर

सूरजगढ़ (झुंझुनू). जिले के सूरजगढ़ कस्बे में दीपोत्सव पर्व खूब हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया. सोमवार को दीपावली पर्व के दूसरे दिन भगवान श्रीकृष्ण का गोवर्धन पर्व भी खूब उत्साह व उमंग के साथ मनाया गया. सूरजगढ़ के मंदिरो में अन्नकूट महोत्सव का आयोजन हुआ. सूरजगढ़ कस्बे के प्राचीन मंदिरों में शामिल स्वामी रूपदास मंदिर में भी अन्नकूट महोत्सव खूब धूमधाम के साथ मनाया गया. महंत क्रांतिदास महाराज के सानिध्य में अन्नकूट महोत्सव का आयोजन हुआ.

सूरजगढ़ कस्बे के वार्ड 12 में स्थित स्वामी रूपदास मंदिर कस्बे में रजवाड़ों के समय से ही मंदिर स्थापित है. स्वामी रूपदास महाराज की ओर से स्थापित करीब साढ़े चार सौ वर्ष पुराने इस मंदिर में स्थापना के समय से ही अन्नकूट महोत्सव मनाया जा रहा है. वर्तमान में त्रिवेणी गद्दी के अधीन संचालित हो रहे मंदिर में 11वीं पीढ़ी के महंत गद्दीसीन हैं.

हर्षोउल्लास के साथ मनाया अन्नकूट महोत्सव

वहीं, महंत क्रांतिदास महाराज के सानिध्य में अन्नकूट महोत्सव की सैंकड़ो वर्षो से चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया गया. इस अवसर पर आयोजित अन्नकूट महोत्सव के दौरान 1 हजार 551 किलो के कढ़ी चावल, मूंग, बाजरे, फली, सब्जी आदि का भोग बनाकर ठाकुर जी को भोग लगाकर उसका प्रसाद श्रद्धालुओं में वितरित किया गया.

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बता दें की अन्नकूट महोत्सव के प्रति सूरजगढ़ ही नहीं बल्कि हरियाणा,पंजाब सहित दूर दराज से आये श्रद्धालुओं में इसके प्रति काफी उत्साह रहता है. इन स्थानों से आये श्रद्धालु भी मंदिर में धोक लगाकर प्रसाद ग्रहण करते है. सोमवार को मंदिर में हजारो की संख्या में स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ-साथ देश भर के कोने-कोने से आये श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया. दोपहर से शुरू हुआ प्रसाद वितरण का दौर देर शाम तक जारी रहा.

मंदिरों के साथ-साथ स्थानीय निवासियों ने भी गोवर्धन पर्व खूब उल्लास के साथ मनाया. महिलाओं ने अपने घरों के बाहर गोवर्धन बनाकर उसकी पूजा अर्चना कर परिवार में अमन, चैन व खुशहाली की दुआ मांगी. उसके बाद गाय के बछड़े से गोवर्धन पर पैर फिरवाकर उसे नष्ट कराते हुए गाय व बछड़े की पूजा भी की गई.

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