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स्पेशल स्टोरी : मंडावा में कोरोना के भय से टूटी होली की 111 साल की परंपरा

कोरोना वायरस के डर से कई बड़े बाजारों की हालात खराब हो गई है. बता दें कि कोरोना ने पर्यटकों से गुलजार रहने वाले और हॉलीवुड की हॉट डेस्टिनेशन मंडावा शहर की भी कमर तोड़ दी है. कोरोना से पीड़ित इटली का टूरिस्ट सबसे पहले मंडावा शहर में आया था. जिसके चलते इस बार गींदड़ और गैर की पुरानी परंपरा पर रोक लगा दी गई. देखिए झुंझुनू से ये खास रिपोर्ट...

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होली पर मंडावा में पसरा सन्नाटा

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Published : Mar 10, 2020, 8:51 PM IST

झुंझुनू.जिले में प्रसिद्ध मंडावा की गींदड़ और गैर की 111 साल पुरानी परंपरा पर प्रशासन ने इस बार कोरोना के डर से रोक लगा दी. जिसके कारण होली पर लोक नृत्य नहीं हुआ. बता दें कि गींदड़ और गैर को हिंदू-मुस्लिम साथ मनाते आ रहे हैं. कोरोना के डर से होटलों की विदेशी पर्यटकों की सारी बुकिंग भी रद्द हो गई हैं. विदेशी पर्यटक भी मंडावा की होली देखने आते हैं, लेकिन इस बार इक्के-दुक्के जो पर्यटक आए वो भी मायूस नजर आए.

होली पर मंडावा में पसरा सन्नाटा

इटली के एक टूरिस्ट में मिले कोरोना के लक्षण

मंडावा में पिछले दिनों आए 16 पर्यटकों में इटली के एक टूरिस्ट में कोरोना वायरस के लक्षण मिले थे. बता दें कि होली के दिनों में जहां आसपास के गांव के लोग भी बड़ी संख्या में खरीदारी करने आते थे. लेकिन इस बार जिस शहर में होली के दिन विदेशी पर्यटकों सहित पूरे दिन धमाल रहता था, उस मंडावा शहर की गलियां होली के दिन सूनी नजर आई.

मंडावा में होली की 111 साल की परंपरा भी टूटी
विदेशी पर्यटक भी होते हैं शामिल

पर्यटन नगरी में पिछले तीन दशकों से विदेशी पर्यटकों के आने का सिलसिला शुरू हुआ था. जिसके बाद यहां की शालीनता और सभ्यता को देखकर विदेशी पर्यटक होली महोत्सव पर गैर में शामिल होने लगे. कई पर्यटक तो विशेष रूप से होली पर्व को देखने और शामिल होने के लिए ही मंडावा आते हैं.

पुरानी हवेली पर बने देवी देवता
हवेलियों पर अंकित है होली के रंग

मंडावा में होली के साथ लोगों का पुराना नाता रहा है. कस्बे में 150 से 200 साल पुरानी हवेलियां होली पर्व के प्रति रहे लगाव और प्रेम की गाथा का सबूत पेश करती हैं. अनेक हवेलियों में भित्ति चित्रों के रूप में देवी-देवताओं के चित्र सहित होली खेलते श्री कृष्ण, चंग बजाती गोपियों सहित अनेक होली दृश्यों के चित्रांकन को देखा जा सकता है.

कोरोना की वजह से सूना पड़ा बाजार

परंपरा अनुसार मनाते आ रहे होली

करीब 111 साल पहले वैद्य लक्ष्मीधर शुक्ल ने श्री सर्वहितेषी व्यायाम शाला संस्था के तत्वाधान अखाड़ा बनाकर होली के कार्यक्रमों के लिए लोगों को जागरूक किया. शुक्ल का प्रयास रंग लाया और यहां की होली ने शालीन और सभ्य होली का रूप ले लिया. तब से आज तक यहां के लोग उसी परंपरा अनुसार होली मनाते आ रहे हैं.

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सौहार्द और भाईचारे की प्रतिक

होली की गैर में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग शामिल होते हैं. गैर में प्रेम से एक दूसरे के गुलाल लगाकर होली पर्व पर सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे का संदेश दिया जाता है. बता दें कि यह परंपरा कोई नई परंपरा नहीं बल्कि कई वर्षों पहले से चली आ रही परंपरा है. दोनों समुदाय के लोग इस परंपरा को बरकरार रखकर सौहार्द और भाईचारे की मिसाल पेश करते हैं.

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