राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

झालावाड़: ऑक्सीजन के अभाव में महिला की मौत, परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप

झालावाड़ अस्पताल में रविवार को ऑक्सीजन के अभाव में एक महिला की मौत हो गई. परिजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया है. वहीं, मामले को लेकर जिला अस्पताल अधीक्षक का कहना है कि मामले की जांच कराकर कार्रवाई करेंगे.

Woman dies in Jhalawar,  Jhalawar District Hospital
ऑक्सीजन के अभाव में महिला की मौत

By

Published : May 2, 2021, 10:54 PM IST

झालावाड़. जिला अस्पताल में ऑक्सीजन के अभाव में 50 वर्षीय महिला की मौत होने का मामला सामने आया है. जिसके बाद परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है.

ऑक्सीजन के अभाव में महिला की मौत

परिजनों ने कहा कि जब महिला को अस्पताल लाया जा रहा था तो उस समय ऑक्सीजन लेवल 70 था. झालावाड़ अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने ऑक्सीजन लेवल चेक किया तो 50 ही आ रहा था. इस पर डॉक्टरों ने महिला को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया और ऑक्सीजन लगा दी. परिजनों ने कहा कि कुछ देर बाद डॉक्टरों ने महिला का आरटीपीसीआर टेस्ट और सीटी स्कैन करवाने के लिए कहा.

पढ़ें- Viral Video: बुजुर्ग महिला की अस्पताल के बाहर मौत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल

परिजनों ने बताया कि वे महिला का आरटीपीसीआर टेस्ट करवा लाए, लेकिन उन्होंने देखा कि महिला की सांसें उखड़ रही है. इसके बाद महिला का ऑक्सीजन लेवल चेक करवाया तो 35 रह गया था. ऐसे में उन्होंने चिकित्सकों से कहा कि सीटी स्कैन करवाने जाने के लिए उनको ऑक्सीजन सिलेंडर साथ ले जाने दिया जाए, लेकिन चिकित्सकों ने उनको सिलेंडर साथ नहीं ले जाने दिया.

परिजनों ने आरोप लगाया कि वे महिला को झालावाड़ अस्पताल में ही सीटी स्कैन करवाने के लिए लेकर जा रहे थे, लेकिन वार्ड से बाहर आते ही महिला ने दम तोड़ दिया. ऐसे में परिजनों का कहना है कि ऑक्सीजन लगाने देते तो महिला की जान बचाई जा सकती थी.

मामले की जांच करवाई जाएगी

मामले को लेकर डॉ. संजय पोरवाल जिला अस्पताल अधीक्षक ने कहा कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी चल रही है. मुझे इस केस की जानकारी नहीं है. मामले की जांच कराकर कार्रवाई करेंगे.

मृतकों के परिजन खुद ही खींच रहे हैं ट्रॉलियां

झालावाड़ अस्पताल परिसर में ट्रॉली खींचने वाले ट्रॉली मेन कहीं भी नजर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में मरीजों के परिजनों को स्ट्रेचर खुद ही खींचना पड़ रहा है और शव को भी परिजनों को खुद ही खींचना पड़ रहा है. जबकि इस काम के लिए अस्पताल में ट्रॉलीमेन के पूरे पद भरे हुए हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details