झालावाड़. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 150वीं जयन्ती वर्ष एवं दांडी मार्च के समापन दिवस पर गांधीवादी विचारकों व स्वयंसेवी संस्थाओं का जिला स्तरीय वेबीनार पॉलिटेक्निक कॉलेज में आयोजित किया गया.
वेबीनार के मुख्य अतिथि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. फूल सिंह गुर्जर ने बताया कि गांधीजी ने स्वतंत्रता आंदोलन में सत्याग्रह तकनीक का प्रयोग किया. सत्याग्रह और निष्क्रिय प्रतिरोध में अंतर है क्योंकि निष्क्रिय प्रतिरोध में व्यक्ति द्वारा विरोधी को परेशान करने की भावना होती है जबकि सत्याग्रह में सत्याग्रही स्वयं ही अधिक कष्ट झेलता है. एक सत्याग्रही के लिए एकादश व्रत का पालन करना आवश्यक है. उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी ने राजनीति में एक नए प्रकार की जीवन शैली, नेतृत्व कला, नए राजनैतिक साधनों एवं मूल्यों को स्थापित किया है.
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महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के जिला सह संयोजक आमिर खान ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की ऐतिहासिक तिथियों को चिरस्थाई बनाने एवं आज की पीढी़ को भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दर्शन कराने के लिए 75 सप्ताह तक राजस्थान के माननीय मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में विभिन्न कार्यक्रम सम्पूर्ण प्रदेश में आयोजित किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में ग्राम पंचायत एवं जिला स्तर पर युवाओं की शांति सेना बनाई जाएगी.
राजेश गुप्ता करावन ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आज से 91 वर्ष पूर्व अंग्रेजों के नमक कानून के विरूद्ध 12 मार्च 1930 को अपने 78 सत्याग्रहियों के साथ 385 किलोमीटर लम्बी पद यात्रा की. अंहिसात्मक रूप से प्रारंभ इस दांडी मार्च का अंत 6 अप्रेल को नमक कानून तोड़ने से हुआ. नमक कानून तोड़ने से भारतीयों के मन से अंग्रेजों का भय कम हुआ. यह पद यात्रा भारत को आजादी दिलाने में मील का पत्थर साबित हुई.