अकलेरा (झालावाड़).जिन किसानों ने अपने खेतों में प्री मानसून में बुवाई कर दी थी. अब खरीफ की फसलें सूखने की स्थिति में आ गई हैं. उड़द, मूंग, सोयाबीन, तिल और मक्का की बुवाई हो चुकी है. इस कारण किसानों को फसल के बर्बाद होने की चिंता सता रही है. किसानों द्वारा खेतों में डाले गए बीज अंकुरित तो हुए, लेकिन मिट्टी में नमी नहीं होने की वजह से वह या तो जमीन से बाहर नहीं निकल पाए या फिर निकले तो मुरझाने लगे हैं.
जिन किसानों के पास सिंचाई के लिए पानी के साधन हैं, वह खेतों में पानी दे रहे हैं. जबकि, अधिकांश किसानों ने फसलें पैदा नहीं होने की उम्मीद में खेतों की दोबारा जुताई शुरू कर दी है. बरसात का आषाढ़ का महीना निकल गया है और सावन के दस दिन बीत जाने के बाद भी पानी नहीं बरस रहा है. तेज धूप से पौधे सूखने लगे हैं.