झालावाड़.गर्भवती और धात्री महिलाओं के साथ किशोरियों के शारीरिक और मानसिक पोषण की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी केंद्रों पर है, लेकिन झालावाड़ में यहां के आंगनबाड़ी केंद्रों पर अगस्त और सितंबर माह का गेहूं, चने की दाल और चावल नहीं पहुंच पाया है. इसके चलते आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी लाभार्थियों तक राशन सामग्री का वितरण नहीं कर पा रही है.
जिले का महिला एवं बाल विकास विभाग किशोरियों और गर्भवती महिलाओं और धात्री महिलाओं के पोषण को लेकर कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां के आंगनबाड़ी केंद्रों पर पिछले दो माह अगस्त और सितंबर माह का गेहूं, चने की दाल और चावल नहीं पहुंच पाया है.
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जिले में कुल 1515 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें 1475 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, 1256 सहायिका व 1280 आशा सहयोगिनी कार्य करती हैं. इनमें 11 से 14 वर्ष की 537 किशोरियां पंजीकृत हैं, जो स्कूल नहीं जाती हैं. वहीं, जिले में कुल 14543 गर्भवती और धात्री महिलाओं का भी पंजीकरण हो रखा है. ऐसे में इन किशोरी बालिकाओं और गर्भवती धात्री महिलाओं के पोषण की जिम्मेदारी इन्हीं आंगनबाड़ी केंद्रों की होती है. लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते यहां पर अगस्त व सितंबर महीने की राशन सामग्री का वितरण नहीं हो सका है. इसके चलते आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अभी तक लाभार्थियों को पोषण सामग्री नहीं पहुंचा पाईं हैं.