मनोहरथाना (झालावाड़). महावीर कला मंडल कामखेड़ा गांव की ओर से रामलीला आयोजित की जा रही है. रामलीला में आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग रामलीला का मंचन देखने पहुंचते हैं. मॉडर्न टेक्नोलॉजी के जमाने में आज भी गांव में रामलीला मंचन प्रस्तुति को लेकर लोगों का उत्साह बरकरार है.
स्थानीय बुजुर्ग रामप्रसाद कारपेंटर ने बताया कि कामखेड़ा पर्यटन स्थल धार्मिक नगरी में रामलीला की शुरुआत उनके सामने ही हुई है. वे भी रामलीला में रावण का किरदार निभाते थे. परंतु उम्र के साथ-साथ अब युवा पीढ़ी ने इस रामलीला की बागडोर संभाल ली है, तब से ही यह चली आ रही है. इस रामलीला को ऐसे ही देखा है. उनका कहना है कि करीब 60 सालों से इस गांव में रामलीला मंचन होता आ रहा है.
आज भी गांव में कृषि कार्य करने के बाद शाम को लोग रामलीला देखने के लिए बड़े सहज भाव से पहुंचते हैं. भगवान के दरबार में भेंट स्वरूप उपहार भी चढ़ाते हैं. यह रामलीला गांव के जन सहयोग द्वारा की जाती है. आधुनिक मॉडल टेक्नोलॉजी व मोबाइल कंप्यूटर के इस जमाने में भी आज इस गांव में रामलीला के प्रति लोगों की श्रद्धा और उत्साह बरकरार है. इस रामलीला मंचन को देखने दूरदराज सहित विभिन्न क्षेत्रों के लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. अपनी खेती कार्यों को निवृत्त होकर रामलीला देखने पहुंचते हैं. इस गांव में लगभग 85 गांव के लोग इस रामलीला को देखने के लिए आते हैं.
इसी के साथ कामखेड़ा धार्मिक स्थल पर कई क्षेत्रों से एवं राज्य के लोग बालाजी धाम दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. जिसके कारण यहां की रामलीला में हजारों की भीड़ रहती है. जिले का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने पर रामलीला में दर्शकों की भारी भीड़ रहती है और यहां की रामलीला काफी प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मानी जाती है. रामलीला में मुख्य अभिनय करने वाले कई ऐसे कलाकार भी है, जिनमें पिता-पुत्र व पोते भी रामलीला में अभिनय करते हैं. एक ही परिवार की तीन-तीन पीढ़ियां एक साथ रामलीला में अभिनय कर चुकी है.