झालावाड़.जिले के काफी बड़े हिस्से में काले सोने के नाम से मशहूर अफीम की खेती की जाती है. क्षेत्र के किसान अफीम की खेती कर अपना घर चलाते हैं. लेकिन इस साल खेती से पहले ही झालावाड़ के किसानों को फसल की चिंता सताने लगी है. एक तो पहले ही क्षेत्र में बारिश की कमी है, जिससे फसल को नुकसान होने की संभावना है, ऐसे में किसानों को करीबन 1 महीने देरी से पट्टे मिलने के कारण फसल में नुकसान होने का डर सता रहा है. इतना ही नहीं इस साल विभाग की ओर से किसानों को कम आरी के पट्टे जारी किए गए हैं, इसे लेकर भी किसान परेशान हैं.
किसानों का कहना है कि, उन्हें करीब 1 महीना देरी से अफीम की खेती के लिए पट्टों का वितरण किया गया है, जिसका असर खेती के दौरान देखने को मिलेगा. किसानों ने बताया कि इस बार जिले में बारिश बहुत कम हुई है. ऐसे में जिले के रायपुर, पिड़ावा और सुनेल क्षेत्र में कम पानी की वजह से अफीम की खेती प्रभावित होगी. जिससे पानी की कमी से अफीम के उत्पादन में भी कमी आएगी. ऐसे में किसानों को उनके पट्टे निरस्त होने की भी आशंका है. इसके अलावा भी अफीम की खेती करने वाले किसान अन्य कारणों से परेशान हैं.
देर से हुई अफीम की तुलाई, पट्टे हुए निरस्त
क्षेत्र में इस साल अफीम की तुलाई देरी से हुई. जिसे लेकर किसानों का कहना है कि, देर से तुलाई के कारण उनके पास रखे रखे ही अफीम का वजन कम हो गया था. जहां एक ओर उन्हें सही कीमत नहीं मिली, वहीं वजन कम होने के वजह से कई किसानों के पट्टे निरस्त कर दिए गए. ऐसे में इस साल देर से पट्टे जारी किए गए हैं. पट्टे 1 महीने देरी से जारी होने के कारण उनके लिए परेशानियां बढ़ सकती हैं.
कम आरी के पट्टों को लेकर भी किसानों में नाराजगी
इस साल विभाग की ओर से किसानों को कम आरी के पट्टे दिए जा रहे हैं. जिसे लेकर भी किसानों में नाराजगी जाहिर की है. किसानों का कहना है कि उनको 10 या 12 आरी के बजाय 4 से 6 आरी के ही पट्टे दिए जा रहे हैं, जो कि बेहद कम है. किसानों के अनुसार अफीम की खेती के दौरान उनको मेहनत-मजदूरी उतनी ही करनी पड़ती है. जिससे अफीम की खेती के दौरान खर्चा भी अधिक हो जाता है. उसके बावजूद भी उन्हें कम आरी के पट्टे ही मिल पाते हैं. जिससे अफीम का उत्पादन कम होता है.