झालावाड़. किसानों ने अपनी पारंपरिक खेती को छोड़कर अधिक पैदावार के लालच में खेतों में रासायनिक तत्वों का प्रयोग करना प्रारंभ किया. जिसके कारण किसानों को पैदावार तो मिल रही है, लेकिन जमीन की उत्पादन क्षमता कम होती जा रही है. साथ ही उत्पन्न खाद्यान्न में पोषक तत्वों की भी कमी भी देखी जा रही है. जिसका प्रभाव सीधे तौर पर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है. ऐसे में स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती चिंताओं को देखते हुए लोग वापस जैविक खेती की ओर बढ़ने लगे हैं. जिससे जैविक खेती करने वाले किसान काफी मालामाल भी हो रहे हैं.
ऐसा ही कुछ झालावाड़ के अकलेरा तहसील के बिंदायगी गांव में देखने को मिल रहा है. जहां पर जैविक खेती करने से प्रगतिशील किसान हंसराज मीणा संपन्न होते जा रहे हैं. साथ ही जैविक खेती में नित नए प्रयोग भी कर रहे हैं. ऐसे में हंसराज मीणा ने क्षेत्र में पहली बार जैविक काले गेंहू की खेती करने का कारनामा किया है. जिससे किसान आर्थिक रूप से सम्पन्न भी हो रहा है और लोगों को स्वास्थ्य का लाभ भी पहुंचा रहा है.
आमतौर पर रबी के सीजन में सभी किसान सामान्य गेहूं की खेती करते हैं. जिसमें रासायनिक तत्वों का भरपूर इस्तेमाल भी करते हैं. अच्छी उपज हो जाने के बाद भी उनको कुछ खास लाभ नहीं मिल पाता है. इसी को देखते हुए प्रगतिशील किसान हेमराज मीणा ने जैविक काले गेहूं की खेती करने का सोचा. जिसके बाद उन्होंने तीन बीघा में काला गेहूं बोया. जिसका उनको जबरदस्त परिणाम देखने को मिल रहा है.