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झालावाड़: 324 वर्षों में कार्तिक पूर्णिमा के महास्नान पर पहली बार सूने रहे चंद्रभागा नदी के घाट, नहीं लगा मेला

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Published : Dec 1, 2020, 1:10 PM IST

कोरोना संक्रमण ने त्योहार-उत्सव के मायने ही बदल दिए हैं. 324 वर्षों में यह पहला अवसर है जब झालावाड़ के झालरापाटन में चंद्रभागा नदी के घाट एवं मेला मैदान में सन्नाटा पसरा रहा. कोरोना संक्रमण के चलते चंद्रभागा नदी में पहली बार कार्तिक पूर्णिमा पर घाट सूने दिखाई दे रहे हैं.

झालावाड़ की चंद्रभागा नदी, Chandrabhaga River of Jhalawar
कार्तिक पूर्णिमा के महास्नान पर चंद्रभागा नदी के घाट रहे सूने

झालावाड़.कार्तिक पूर्णिमा पर किया जाने वाला पवित्र स्नान इस बार लोगों ने घरों पर ही करना उचित समझा. दरअसल जिला कलेक्टर की ओर से कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र स्न्नान के लिए जुटने वाली भीड़ की आशंकाओं को देखते हुए चंद्रभागा नदी के आसपास के क्षेत्रों में निषेधाज्ञा के आदेश जारी कर दिए थे.

कार्तिक पूर्णिमा के महास्नान पर चंद्रभागा नदी के घाट रहे सूने

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जिसके बाद जिला प्रशासन की ओर से बैरिकेड लगाकर चंद्रभागा नदी पर आने वाले सभी मार्ग बंद कर दिए गए थे. साथ ही पुलिस की निगरानी बढ़ा दी गई थी. जिसके बाद श्रद्धालुओं ने भी प्रशासन का भरपूर सहयोग किया और स्नान के लिए नदी के घाटों पर नहीं जुटे.

बता दें कि हाड़ौती की गंगा कही जाने वाली चंद्रभागा नदी में झालावाड़ कोटा सही मध्य प्रदेश के कई जिलों के हजारों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं. धार्मिक महत्व के कारण श्रद्धालु कार्तिक के पूरे महीने में स्नान करते हैं तथा कार्तिक पूर्णिमा पर महास्नान होता है. ऐसे में महा स्नान पर प्रशासन की रोक लगाने से पूरे माह स्नान और व्रत उपवास करने वाले श्रद्धालुओं को निराशा मिली.

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वहीं, हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर शहर में 1 दर्जन से अधिक भंडारे भी लगते हैं. जिसमें कार्तिक पूर्णिमा का स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं को खाना खिलाया जाता था. ऐसे में अबकी बार भंडारों का आयोजन भी नहीं हो सका.

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