झालावाड़. सरकार नेत्रदान के प्रति लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए समय-समय पर अभियान चलाती है. इससे प्रेरित होकर काफी संख्या में लोग नेत्रदान कर भी रहे हैं जिससे हर साल प्रदेश में हजारों दृष्टि बाधित लोग फिर से दुनिया देख पा रहे हैं. पहले नेत्रदान करने पर बड़े शहरों से डॉक्टरों की टीम बुलानी पड़ती थी जो ऑपरेट कर कार्निया निकाल लेते थे. इसमें कभी-कभी वक्त लग जाता था, लेकिन अब झालावाड़ मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल को आई रिट्रीवल सेंटर के रूप में अधिकृत कर दिया गया है. जिससे समय रहते कॉर्निया निकाला जा सकेगा.
झालावाड़ में कोरोना वायरस के फैलते प्रकोप के बीच हेल्थ सेक्टर में एक बड़ी सुविधा शुरू होेने जा रही है. आई रिट्रीवल सेंटर के लिए झालावाड़ मेडिकल कॉलेज को अधिकृत कर लिया गया है. ऐसे में अब यहीं पर रिट्रीवल सेंटर होने से लोगों में नेत्रदान करने की प्रवृत्ति भी बढ़ेगी. अब तक झालावाड़ में आई रिट्रीवल सेंटर नहीं होने के कारण नेत्रदान के इच्छुक लोगों के लिए जयपुर या कोटा से टीम बुलानी पड़ती थी जिसमें समय अधिक लग जाता था जिससे कभी-कभी मृतकों का कॉर्निया खराब हो जाता था या फिर परिजन इंतजार नहीं करते थे.
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ऐसे में आई रिट्रीवल सेंटर बनने से नेत्रदान के इच्छुक लोगों का कॉर्निया मरणोपरांत तुरंत निकाल लिया जाएगा. वहीं झालावाड़ में वर्तमान में करीब 200 ऐसे लोग हैं जिनको कॉर्निया की जरूरत है. ऐसे में मृतकों के परिजनों को भी परेशानी नहीं होगी. झालावाड़ मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय को आई रिट्रीवल सेंटर के लिए अधिकृत करने को लेकर जिला कलेक्टर निकया गोहाएन ने हर्ष जताते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा मेडिकल कॉलेज झालावाड़ को आई रिट्रीवल सेंटर के लिए अधिकृत करना जिले की बड़ी उपलब्धि है. इससे नेत्रदान जैसे पुण्य कार्य को बढ़ावा मिलेगा.