कोटा. शिक्षा नगरी कोटा (Kota) कई परिवारों में रोशनी लेकर आती है. छोटे-छोटे परिवारों को भी यह शिक्षा का उजियारा पहुंचाती है. इस उजाले में ऐसी प्रतिभाएं भी उभर रही है. जिनके माता-पिता सक्षम नहीं थे. इन गुदड़ी के लालों को कोटा की कोचिंग (Kota Coaching) ने संबल दिया और अब वे अच्छे मेडिकल संस्थानों में प्रवेश करेंगे. ऐसी ही एक बालिका नाजिया है. जिसके पिता इसामुद्दीन ऑटो चलाते हैं और वह अब नीट यूजी 2021 में सेलेक्ट हुई है.
शिक्षा नगरी कोटा कई परिवारों में रोशनी लेकर आती है. छोटे-छोटे परिवारों को भी यह शिक्षा का उजियारा पहुंचाती है. इस उजाले में ऐसी प्रतिभाएं भी उभर रही है. जिनके माता-पिता सक्षम नहीं थे. इन गुदड़ी के लालों को कोटा की कोचिंग ने संबल दिया और अब वे अच्छे मेडिकल संस्थानों (medical college in Kota) में प्रवेश करेंगे. ऐसी ही एक बालिका नाजिया है. जिसके पिता इसामुद्दीन ऑटो चलाते हैं और वह अब नीट यूजी 2021 में सेलेक्ट हुई है. जिसके बाद एमबीबीएस (MBBS) अब वह करेगी नाजिया मूलतः झालावाड़ के पचपहाड़ (Pachpahar first doctor) की रहने वाली है. नाजिया अपने गांव की पहली डॉक्टर होगी.
नाजिया का परिवार झालावाड़ जिले के भवानीमंडी के निकट पचपहाड़ गांव में रहता है. पिता भवानीमंडी में लोडिंग टेंपो चलाकर परिवार का खर्च उठाते हैं. टेम्पो लॉन पर लिया हुआ है. परिवार की विपरीत होने की स्थिति में मां अमीना बी भी दूसरे के खेतों में मजदूरी करती हैं. तीन भाई-बहन हैं. छोटी बहन ने अभी 12वीं पास की है, भाई 10 वीं में है. नाजिया ने 8वीं तक गांव में ही पढ़ी, इसके बाद 9 से 12वीं तक भवानीमंडी के सरकारी स्कूल में पढ़ाई की. स्कूल जाने के लिए रोजाना 5 किलोमीटर साइकिल लेकर जाती थी. यह साइकिल सरकार ने दी थी.
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कोटा के एक कोचिंग संस्थान के निदेशक नवीन माहेश्वरी का कहना है कि नाजिया के परिवार की स्थिति देखते हुए फीस में 75 प्रतिशत की छूट दी गई. नाजिया ने नीट (NEET) की तैयारी के साथ बीएससी की पढ़ाई भी की. राज्य सरकार की दी गई स्कॉलरशिप का भी लाभ लिया गया. उनका संस्थान प्रतिभाओं के सहयोग के लिए सदैव तैयार रहता है. नाजिया ने परिवार और गांव का नाम रोशन किया है. ऐसे बच्चे आगे चलकर क्षेत्र और समाज के लिए उदाहरण और अन्य स्टूडेंट्स के लिए प्रेरणा बनेंगे. ऐसे बच्चों की मदद की वे आगे भी करेंगे.