झालावाड़.टोड़री जगन्नाथ ग्राम पंचायत के गोपाल लाल को अपने जिंदा होने का सबूत देना पड़ रहा है. दरअसल उसे मरा हुआ मानकर पेंशन बंद कर दी गई है.
गोपाल लाल अब दफ्तरों के चक्कर लगाकर जिंदा होने के सबूत पेश कर रहे हैं. ताकि सरकार से मिलने वाली पेंशन जारी रहे. जिससे वो अपना गुजर-बसर कर सकें. कई बार दफ्तरों के चक्कर लगाने के बावजूद उन्हें न तो जिंदा माना जा रहा है और न ही उन्हें न्याय दिया जा रहा है. गोपाल लाल अब अपने आप को जिंदा साबित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
पेंशन विभाग ने जिंदा बुजुर्ग को माना मृत जिले की मनोहरथाना पंचायत समिति के टोडरा गांव के गोपाल लोधा की वृद्धावस्था पेंशन 2013 में शुरू हुई थी. लेकिन बीच में ही उनकी पेंशन आना अचानक बंद हो गई. ऐसे में खराब आर्थिक स्थिति से जूझ रहे गोपाल लाल ने सरकारी कार्यालय में जाकर पेंशन बंद होने का कारण पूछा तो उन्हें मृत बता दिया गया.
पढ़ें-अब पैसे के अभाव में दम नहीं तोड़ेंगी प्रतिभाएं, सीएम गहलोत ने शुरू की 'मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना'
जिसके बाद गोपाल लाल अपने आप को जिंदा साबित करने और अपनी वृद्धावस्था पेंशन दुबारा शुरू कराने के लिए गांव से कई बार पांच किमी पैदल चल कर मनोहरथाना पंचायत समिति में आ चुके हैं. लेकिन हर बार उन्हें निराश होकर वापस लौटना पड़ा है.
गोपाल लोधा ने बताया कि 2013 में उनको पेंशन के रूप में 750 रुपए मिलना शुरू हुए थे. जनवरी 2021 में पेंशन के रुपए आना बंद हो गए. जिसके बाद उन्होंने पंचायत समिति में संपर्क किया तो उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. उन्होंने ई-मित्र पर चेक करवाया तो उनको 15 जनवरी को ही विभाग ने मृत घोषित कर पेंशन बंद कर दी थी.
बुजुर्ग ने दिया जिंदा होने का सबूत इसके बाद गोपाल लाल ने कई बार कार्यालयों के चक्कर लगाकर अपने आपन को जिंदा होना बताया. लेकिन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की. गोपाल लाल ने बताया कि उसका मासिक खर्चा से पेंशन से मिलने वाली राशि से ही होता था. अब लम्बे समय से पेंशन के बंद हो जाने से उसका जीवन यापन भी मुश्किल हो गया है.