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अलविदा 2019 : झालावाड़ में बारिश ने मचाई थी भयंकर तबाही, आज भी नहीं भूले लोग - झालावाड़ न्यूज

झालावाड़ में 2019 को बाढ़ की वजह से याद किया जाएगा. जिले में बारिश ने इस बार भयंकर तबाही मचाई, जहां जिले में औसत से 640 एमएम ज्यादा बारिश हुई. यानी कि पूरे जिले में इस वर्ष कुल 1545 एमएम बारिश हुई है. बारिश से लोगों के साथ-साथ किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा.

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बारिश और बाढ़ ने झालावाड़ के लोगों के लिए यादगार बना दिया 2019

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Published : Dec 28, 2019, 10:23 PM IST

झालावाड़.2019 का यह वर्ष झालावाड़ वासियों को बारिश और बाढ़ की वजह से हमेशा याद रहेगा. इस वर्ष बाढ़ की वजह से हजारों लोगों के आशियाने उजड़ गए, फसलें चौपट हो गई और व्यापार पर गहरा प्रभाव पड़ा है. कई लोगों का यह मानना है कि उनके जीवन में पहली बार किसी एक साल में इतनी बारिश देखने को मिली है.

बारिश और बाढ़ ने झालावाड़ के लोगों के लिए यादगार बना दिया 2019

2019 का यह वर्ष अपने अंतिम महीने के अंतिम सप्ताह में है. गुजरता हुआ हर एक साल कुछ यादें देकर जाता है, जो लोगों के लिए यादगार बन जाती है. झालावाड़ के लिहाज से बात करें तो 2019 का वर्ष बाढ़ और भारी बारिश की वजह से याद किया जाएगा.

इस बार झालावाड़ ने बाढ़ का वह मंजर देखा, जिसे इस पीढ़ी के लोग कभी नहीं भुला पाएंगे. जिले में इस वर्ष औसत से 640 एमएम ज्यादा बारिश हुई. यानी कि पूरे जिले में इस वर्ष कुल 1545 एमएम बारिश हुई, जिसकी वजह से जिलेभर की तमाम नदियां उफान पर रही है और नदियों ने अपनी सीमाएं तोड़ते हुए लोगों के आशियाने उजाड़ दिए.आंकलन के अनुसार बाढ़ में तकरीबन 8 हजार लोग बेघर हुए हैं. बाढ़ के चलते लोगों के घर, खेत-खलिहान और अनाज का जबरदस्त नुकसान देखने को मिला.

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लोगों का कहना है कि इतनी बारिश उन्होंने अपनी पीढ़ी में पहली बार देखी है. वहीं कई लोगों ने बताया कि 1969 में ऐसी बारिश हुई थी, जब बाढ़ का पानी लोगों के घरों में घुस आया था तथा लोगों को जान बचाने के लिए अन्य जगहों पर जाना पड़ा था.

बता दें कि बारिश की वजह से जिले में कई गांव ऐसे भी थे, जिनके रास्ते महीने भर तक जिला मुख्यालय से कटे हुए थे. नदियों का बहाव इतना तेज था कि कई जगहों पर सड़कें एवं पुल टूट गए थे और कई जगहों पर डूब गए थे. सबसे ज्यादा दिनों तक झालावाड़ का गागरोन क्षेत्र और गंगधार क्षेत्र जिला मुख्यालय से कटा हुआ था, जहां पर कालीसिंध और छोटी कालीसिंध नदी की वजह से गांवों के रास्ते बंद हो गए थे.

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भारी बारिश के चलते किसानों के खेत जलमग्न हो गए थे, जिसकी वजह से पूरी की पूरी फसलें चौपट हो गई थी. किसानों के साथ साथ जिले के व्यापारियों को भी काफी परेशानी झेलनी पड़ी थी. किसानों का कहना है कि बाढ़ की वजह से हुए नुकसान का अभी तक भी उनको ना कोई मुआवजा मिला है ना कोई सहायता राशि. ऐसे में इस साल की जबरदस्त बारिश को वो जीवन में कभी भी नहीं भूलने वाले हैं और यह उम्मीद करते हैं कि आगे आने वाले वर्षों में ऐसी बारिश ना देखने को मिले.

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