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तिरस्कार के बदले मुक्ति : पिता ने पत्नी-बेटियों को त्यागा...उन्हीं में से एक बेटी ने मुखाग्नि देकर किया 'मुक्त'

पत्नी और दो बेटियों को पिता ने त्याग दिया था. मां और बेटियां किराए के कमरे में रहने लगीं. ई-रिक्शा पर सामान बेचकर गुजारा करतीं. दादा और पिता की एक साथ मौत हुई तो मुखाग्नि देने वही तिरस्कृत बेटी आगे आई...

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तिरस्कार के बदले मुक्ति

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Published : May 28, 2021, 8:02 PM IST

झालावाड़. जिस पिता को बेटियों का कन्यादान करना था. उसी पिता ने पत्नी और दो बेटियों को घर से निकाल दिया था. उसी तिरस्कृत बेटी ने अपने पिता और दादा की एक ही दिन में आकस्मिक मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार की रस्म निभाई.

तिरस्कार के बदले मुक्ति

पहले दादा की मौत, फिर पिता की

शहर की रूपनगर कॉलोनी निवासी रमेश चंद्र की मौत के दो घंटे बाद ही उनके बेटे बृजेश जोशी की भी मौत हो गई. बृजेश के बाद परिवार में कोई भी ऐसा नहीं था जो अंतिम संस्कार कर पाता. बेटियों को बृजेश ने पहले ही तिरस्कृत कर रखा था. ऐसे में दादा और पिता की मुक्ति के लिए वही तिरस्कृत बेटी आगे आई. बेटी ने दादा और पिता का अंतिम संस्कार किया. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. ऐसे में रक्तदाता समूह ने शवों को अस्पताल से लेकर अंतिम संस्कार तक की क्रिया के खर्च का जिम्मा उठाया.

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तंगहाली में जी रहीं बेटियां

रूपनगर निवासी बृजेश जोशी ने पत्नी नितिना और बेटियों भव्या और भूमिका को छोड़ रखा था. मां बेटियां शहर की महात्मा गांधी कॉलोनी में किराये के मकान में रह रही हैं. गुजारा करने के लिए ई-रिक्शा से मनिहारी का सामान बेचती हैं. साथ ही दोनों बेटियां पढ़ाई भी कर रही हैं. दादा-पिता के रहते बेटियां इस तंगहाली से गुजर रही हैं. आखिरकार बेटी ने ही मुखाग्नि देकर फर्ज निभाया.

शहर के रक्तदाता समूह ने कहा कि परिवार में अब मां बेटियों के अलावा कोई नहीं बचा है. ऐसे में बेटियों की पढ़ाई से लेकर अन्य जरूरतों का जिम्मा रक्तदाता समूह उठाएगा.

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