झालावाड़. जिस पिता को बेटियों का कन्यादान करना था. उसी पिता ने पत्नी और दो बेटियों को घर से निकाल दिया था. उसी तिरस्कृत बेटी ने अपने पिता और दादा की एक ही दिन में आकस्मिक मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार की रस्म निभाई.
पहले दादा की मौत, फिर पिता की
शहर की रूपनगर कॉलोनी निवासी रमेश चंद्र की मौत के दो घंटे बाद ही उनके बेटे बृजेश जोशी की भी मौत हो गई. बृजेश के बाद परिवार में कोई भी ऐसा नहीं था जो अंतिम संस्कार कर पाता. बेटियों को बृजेश ने पहले ही तिरस्कृत कर रखा था. ऐसे में दादा और पिता की मुक्ति के लिए वही तिरस्कृत बेटी आगे आई. बेटी ने दादा और पिता का अंतिम संस्कार किया. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. ऐसे में रक्तदाता समूह ने शवों को अस्पताल से लेकर अंतिम संस्कार तक की क्रिया के खर्च का जिम्मा उठाया.