झालावाड़:इस साल किसानों की मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. पहले कोरोना के कहर के कारण किसानों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी. वहीं अब फसलों में लगने वाले रोगों ने किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. जिले की मुख्य फसलें जैसे सोयाबीन और मक्का पहले से ही बर्बाद हो चुकी हैं. ऐसे में अब तिल की फसल पर भी काली मस्सी रोग का भारी प्रकोप देखने को मिल रहा है. काली मस्सी रोग के कारण तिल के पौधे पीले पड़ रहे हैं. जिससे फसल में फूल तो आ रहे हैं, लेकिन तिल नहीं लग पा रहे हैं. जिससे किसान मायूस हो गए हैं.
क्या है काली मस्सी
काली मस्सी फसलों में लगने वाला एक प्रकार का रोग है. दिन में गर्मी, रात में सर्दी और नमी वाले मौसम में काली मस्सी का प्रकोप रबी सीजन की हर फसल पर दिखाई देता है. इसके असर में आने के बाद पौधे सूर्य की रोशनी में फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया नहीं कर पाते, जिससे भोजन नहीं बनता. नतीजतन पौधे की बढ़वार रुक जाती है. धीरे-धीरे पौधा पीला पड़कर नष्ट हो जाता है. समय रहते देखरेख नहीं होने की दशा में पौधा व फसल चौपट हो जाती है.
झालावाड़ में करीब 600 हेक्टेयर भूभाग में किसानों ने तिल की खेती की है. किसानों ने बड़ी उम्मीदों के साथ तिल की खेती की थी और शुरुआत में अच्छे नतीजे भी देखने को मिल रहे थे. तिल के पौधे अच्छे तरीके से बड़े हो रहे थे और उनमें फूल भी आ गए थे. लेकिन तिल में काली मस्सी के प्रकोप के कारण किसानों की ये फसल भी बर्बादी की कगार पर पहुंच रही है.
4 से 5 बीघा में बोई गई है तिल की फसल
किसान ओमप्रकाश ने बताया कि उसने 4 से 5 बीघा में तिल की फसल बो रखी है. लेकिन अब तिल में काली मस्सी के रोग के कारण उनमें तिल नहीं लग पा रहे हैं. जिससे पौधे का कोई मतलब नहीं रह गया है. फसल में जितनी लागत लगाई गई थी, अब वह भी मिलने की उम्मीद नहीं लग रही है.