झालावाड़. कोरोना के दौर में संक्रमण से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को जरूरी माना जा रहा है. वहीं, यह दूरी कोरोना के अलावा अन्य किन्हीं कारणों से मरने के बाद भी खत्म नहीं हो रही है. अस्पतालों में कई मामले ऐसे आते हैं जो कोरोना सबंधित नहीं होते हैं, लेकिन नियमानुसार उन मरीजों की भी कोरोना जांच की जाती है.
दो दिन तक नहीं मिल रहा परिजनों को मृतकों का शव इनमें से कई मरीज ऐसे भी होते हैं जिनकी मृत्यु हो जाती है, लेकिन इनके परिजनों को रिपोर्ट के लिए 36 से 48 घंटे तक का इंतजार करना पड़ता है. वहीं, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि जब तक रिपोर्ट नहीं आएगी तब तक शव परिजनों को नहीं सौंप सकते हैं.
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अगर बात की जाए झालावाड़ अस्पताल की तो अब अस्पताल की मोर्चरी भी शवों से पूरी तरह से भर चुकी है. जिले में ऐसे कई केस सामने आ रहे हैं, जहां पर परिजन कई-कई घंटों से कोरोना की रिपोर्ट के इंतजार में बैठे रहते हैं ताकि उसके बाद पोस्टमार्टम किया जा सके और शव का वो अंतिम संस्कार कर सकें. इसमें सबसे बड़ी खामी कोरोना जांच केंद्र की सामने आ रही है. जहां पर सैंपल की रिपोर्ट काफी देरी से आ रही है.
शव के इंतजार में बैठे परिजन ऐसे दो केस के बारें में हम आपको बताते हैं-
1. कोटा निवासी देवसिंह गुर्जर ने बताया कि उनके परिजन कैंसर के मरीज थे. जिनको कुछ तकलीफ होने की वजह से अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. जहां पर उनकी मृत्यु हो गई थी. ऐसे में सुबह उनका कोरोना सैंपल लिया गया था. जिसके बाद एक पूरा दिन बीत चुका है और अगले दिन भी रिपोर्ट नहीं आई है. ऐसे में सूर्यास्त हो जाएगा. जिसकी वजह से अगले दिन भी अंतिम संस्कार नहीं हो पायेगा. वहीं शव नहीं मिलने से परिजन भी परेशान हो रहे हैं.
2. अकलेरा क्षेत्र में एक महिला की सांप के काटने से मौत हो गई थी. जिसका सैंपल लेते हुए कहा गया कि रात 8 बजे तक रिपोर्ट आ जाएगी, लेकिन दूसरे दिन दोपहर तक भी रिपोर्ट नहीं आई. ऐसे में रिपोर्ट नहीं आने की वजह से मृतका का पोस्टमार्टम भी नहीं हो पाया. जिसकी वजह से परिजनों को शव नहीं मिल पा रहा है.
अस्पताल चौकी के प्रभारी प्रवीण कुमार ने बताया कि जो भी शव आता है उसका कोरोना सैंपल लेकर लैब में भेज दिया जाता है, लेकिन रिपोर्ट देरी से आने की वजह से परिजनों को परेशान होना पड़ता है.
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बता दें कि, कोरोना की रिपोर्ट काफी देरी से आ रही है जिसकी वजह से अस्पताल की मोर्चरी भी फुल हो गई है. ऐसे के दो शवों को मेडिकल कॉलेज की मोर्चरी में रखवाना पड़ रहा है. वहीं मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. दीपक गुप्ता ने बताया कि मृतकों के सैंपल रिपोर्ट देरी से आने जैसा कोई मामला नहीं है. दरअसल रात में सैंपलों की जांच नहीं हो पाती है, ऐसे में सैंपल ज्यादा होने की वजह से कभी-कभी सैंपल जांच के लिए एक दिन और लग जाता है.