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झालावाड़: मीडिया सेंसिटाइजेशन वर्कशॉप में सड़क दुर्घटनाओं पर हुई चर्चा

सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत झालावाड़ के मिनी सचिवालय के सभागार में मीडिया सेंसिटाइजेशन वर्कशॉप का आयोजन किया गया. जिसमें प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस दौरान जिला परिवहन अधिकारी ने सड़क दुर्घटना से बचने के लिए लोगों को जागरूक किया.

media sensitization workshop in Jhalawar
झालावाड़ में मीडिया सेंसीटाइजेशन वर्कशॉप में सड़क दुर्घटनाओं पर हुई चर्चा

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Published : Feb 8, 2020, 3:50 PM IST

झालावाड़.जिले में 31वें सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत रोड सेफ्टी से संबंधित मीडिया सेंसीटाइजेशन वर्कशॉप का आयोजन जिला परिवहन अधिकारी समीर जैन की अध्यक्षता में मिनी सचिवालय के सभागार में किया गया.

झालावाड़ में मीडिया सेंसीटाइजेशन वर्कशॉप में सड़क दुर्घटनाओं पर हुई चर्चा

वर्कशॉप में जिला परिवहन अधिकारी ने सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों पर जानकारी देते हुए बताया कि तेज गति से वाहन चलाना, गलत ओवरटेकिंग और लेन कटिंग, बार-बार लेन बदलना दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण हैं.

इसके अतिरिक्त नशीले पदार्थ का सेवन कर वाहन चलाना भी बेहद खतरनाक होता है, जबकि इस प्रकार वाहन चलाना दण्डनीय अपराध भी है. उन्होंने बताया कि यातायात नियम हमें बांधे रखने के लिए नहीं है वरन् अनुशासित रखने के लिए होते हैं, ताकि हम बिना किसी दुर्घटना के सुरक्षित अपने गन्तव्य स्थान तक पहुंच सके.

उन्होंने बताया कि दुपहिया वाहन चालक की उच्च गुणवत्ता वाला आईएसआई हेलमेट 70 प्रतिशत तक जान बचाने में मदद करता है. वहीं चार पहिया वाहनों में सीट बेल्ट का उपयोग गंभीर चोट से बचाने में मददगार होता है.

जिला परिवहन अधिकारी ने बताया कि गत कई वर्षों से मोटर वाहनों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है. जिनमें दुपहिया वाहनों की संख्या लगभग 65 प्रतिशत है. इस वजह से दुपहिया वाहन चालकों की सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. हेलमेट का उपयोग नहीं करने की वजह से सिर में गंभीर चोट आती है. सिर और गर्दन की चोट मृत्यु और अपंगता का मुख्य कारण हैं. विकासशील देशों में 75 से 80 प्रतिशत मृत्यु सिर में चोट लगने के कारण होती है.

उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय और जारी गाइडलाईन्स के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी दुपहिया, कार या बस आदि की दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की सड़क पर मदद कर उन्हें अस्पताल पहुंचाने का कार्य करता है उसे गुड सेमेरिटन्स या अच्छा मददगार कहा जाता है.

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ऐसे व्यक्तियों से अस्पताल और पुलिस थाने में पुलिस द्वारा किसी प्रकार की पूछताछ नहीं की जाती है, पहले दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की चिकित्सा की जाती है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे गुड सेमेरिटन्स बने और बेहिचक दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की मदद कर एक अच्छे, समझदार और संवेदनशील नागरिक होने का परिचय दें.

सेंसीटाइजेशन वर्कशॉप में मीडिया प्रतिनिधियों ने भी शहर के विभिन्न संभावित दुर्घटना स्थलों और दुर्घटना से बचने के उपायों के बारे में आवश्यक सुझाव दिए. कार्यशाला में सूचना और जनसम्पर्क विभाग के सहायक निदेषक हेमन्त सिंह सहित प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

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