झालावाड़.कोरोना वायरस के बीच हुए लॉकडाउन की मार लगभग सभी व्यापारियों पर पड़ी है. ऐसे में सबसे ज्यादा जिस कारोबार पर इसका प्रभाव देखने को मिला है, वो कोल्ड ड्रिंक्स का व्यापार है. गर्मी के मौसम में परवान पर रहने वाले कोल्ड ड्रिंक्स का व्यापार एकदम से ठप हो चुका है. हालात ये चुके है कि सारा का सारा माल गोदामों में ही रखा-रखा खराब हो रहा है. ऐसे में कोल्ड ड्रिंक्स के प्रोडक्ट्स या तो एक्सपायर हो रहे हैं, या फिर माल को चूहे काट दे रहे हैं, जिससे कोल्ड ड्रिंक्स के व्यवसायियों को भारी नुकसान देखने को मिल रहा है.
कोल्ड ड्रिंक्स व्यापार की टूटी कमर व्यवसायियों ने बताया कि ने कोल्ड ड्रिंक्स का माल महंगा होता है. साथ ही उनकी वैलिडिटी भी 2 या 6 महीने तक की ही होती है. ऐसे में गर्मी के सीजन को देखते हुए व्यापारियों ने जनवरी के अंत तक और फरवरी की शुरुआत में ही माल का स्टॉक कर लिया था, लेकिन सरकार ने कोरोना के चलते लॉकडाउन की घोषणा कर दी, जिससे व्यवसायी न तो माल को दुकानों तक पहुंचा पा रहे है और ना ही फुटकर विक्रेता ग्राहकों को बेच पा रहे है. इसके चलते माल गोदामों में रखा ही रह जा रहा है और खराब हो जा रहा है.
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बता दें कि झालावाड़ जिले में कोल्ड ड्रिंक्स के करीबन 20 मुख्य डिस्ट्रीब्यूटर है, जिनका सामान्य दिनों में प्रतिदिन का व्यापार लगभग 1 लाख रुपए तक का रहता था. लेकिन लॉकडाउन के चलते अब महज 2 से 3 हजार रुपए का व्यापार ही हो पा रहा है. वहीं, जिले भर में कोल्ड ड्रिंक्स बेचने वाले करीबन 1 हजार छोटे-बड़े दुकानदार हैं और इनमें से 180 दुकानदार तो महज झालावाड़ शहर में ही मौजूद है.
व्यवसायियों ने बताया कि लॉकडाउन के चलते शादियां और अन्य प्रकार के कार्यक्रम भी नहीं हो पाए. ऐसे में इन कार्यक्रमों के लिए जो माल उन्होंने मंगा रखा था, उनकी खपत भी नहीं हो पाई और वो भी गोदामों में रखा-रखा खराब हो गया और उसका नुकसान भी उनको खुद को ही झेलना पड़ रहा है. व्यवसायियों ने बताया कि माल खराब होने से लाखों रुपए का नुकसान तो उनका पहले ही हो चुका है. वहीं, अब कोल्ड ड्रिंक्स की बिक्री नहीं होने से दिन-प्रतिदिन उनका हजारों रुपए का व्यवसाय भी चौपट हो रहा है.
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इतने पर कोल्ड ड्रिंक्स के व्यवसायियों की समस्याएं यहीं खत्म नहीं हुई है. इन व्यवसायियों ने बड़ी उम्मीदों से गर्मी के मौसम में कोल्ड ड्रिंक्स के व्यापार के लिए बैंकों से जो लोन लिया था, उसको लेकर भी प्राइवेट बैंकों की ओर से इन पर किश्ते ड्यू रखने, ब्याज और जुर्माना लगाने की धमकी देकर जबरदस्ती कर्ज चुकाने को लेकर दबाव भी बनाया गया. ऐसे में ये व्यवसायी लोगों से पैसे उधार लेकर बैंकों की किश्ते चुका रहे हैं.