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झालावाड़ः अकलेरा में अनोखे अंदाज में निकलती है मतवाले घांस भैरु महाराज की भव्य सवारी - riding dance gears

झालावाड़ के अकलेरा में मतवाले घांस भैरु महाराज की भव्य सवारी निकाली गई. इस दौरान 10 से अधिक बैलों की जोड़ियों को लेकर किसानों का जनसैलाब घांस भैरु महाराज के दर्शन के लिए उमड़ पड़ा. बता दें कि 5 दिवसीय दीपावली पर्व संपन्न होने के उपरांत पड़वा के दिन घांस भैरू जी की सवारी परंपरा अनुसार सदियों से चली आ रही. जिसका निर्वहन ग्रामीण काफी उत्साह से करते हैं.

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Published : Oct 30, 2019, 3:21 AM IST

अकलेरा (झालावाड़). जिले के सरेडी गांव में मतवाले घांस भैरु महाराज की भव्य सवारी निकाली गई. मंगलवार सुबह से ही ग्रामीण नगर भ्रमण सवारी की तैयारियां में जुट गए. मंदिर में प्रसाद चढ़ाने के बाद क्षेत्र में सुख समृद्धि के लिए ग्रामीणों ने प्रार्थनाएं की. इस दौरान 10 से अधिक बैलों की जोड़ियों को लेकर किसानों का जनसैलाब घांस भैरु महाराज के दर्शन के लिए उमड़ पड़ा.

मदिरा चढ़ाकर घांस भैरू जी से क्षेत्र में सुख समृद्धि कामना की जाती है

बता दें कि पांच दिवसीय दीपावली पर्व संपन्न होने के उपरांत पड़वा के दिन घांस भैरू जी की सवारी परंपरा अनुसार सदियों से चली आ रही. जिसका निर्वहन ग्रामीण काफी उत्साह से करते हैं. इस अवसर पर घांस भैरू स्थल पर बैलों की जोड़ीयों से उनकी प्रतिमा को गांव के आस-पास संपूर्ण एक राउंड लगा कर चक्कर कटवाए जाता है. जिसमें ग्रामीण गाजे-बाजे और ढोल-नगाड़ों के साथ भैरू जी के कीर्तन करते हैं.

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वहीं, आतिशबाजी के बीच महाराज के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया. साथ ही मान्यता के अनुसार भेरुजी महाराज को सिंदूर, पूजा सामग्री चढ़ाकर विभिन्न प्रकार की मदिरा से पान कराया गया. बता दें कि ऐसी मान्यता है कि हर वर्ष जहां से सवारी निकाली जाती है वापस उसी स्थान पर आने के उपरांत प्रति वर्ष उस जगह से 11 फीट पर जगह का परिवर्तन कर देते हैं.

बता दें कि प्राचीन मान्यताओं के अनुसार डांस गैरों की सवारी जब निकलती है, तब जन्म से लेकर 5 साल तक के नन्हे-मुन्ने बच्चों को उनके नीचे से निकाला जाता है. यह परंपरा विगत कई वर्षों से चली आ रही है. मीणा समाज के राम गोपाल ने बताया कि मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चों को बुरी नजर नहीं लगती है और बीमारियां भी नहीं होती है.

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