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Special: लॉकडाउन में Business बर्बाद होने के बाद अब हाईवे के किनारे फल बेचने को मजबूर युवा

कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के चलते कई व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो गए. प्रति माह डेढ़ से 2 लाख तक कमाने वाले युवा अब आजीविका चलाने के लिए हाईवे किनारे वाहनों में खजूर और नारियल पानी की बेचने को मजबूर हैं.

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हाइवे के किनारे फल बेचने को मजबूर युवा

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Published : Jul 19, 2020, 10:42 PM IST

जालोर. कोरोना वायरस से पहले लाखों युवा प्रवास में अपना छोटा-मोटा व्यवसाय चलाया करते थे. जिससे वे एक महीने में 1.50 से 2 लाख रुपए तक की मोटी कमाई करते थे. लेकिन, कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के बाद आई वैश्विक मंदी के चलते काम धंधे पूरी तरह चौपट हो गए. जिसके कारण अब जिले में लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं.

इन बेरोजगार हुए युवाओं में से अधिकांश तो अपने घर बैठे है, या मनरेगा में मजदूरी पर जा रहे है. लेकिन, कुछ युवाओं ने अपनी आजीविका चलाने के लिए नेशनल हाईवे-68 के किनारे या गांवों में सब्जी और फ्रूट का ठेले लगाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार लॉकडाउन की अवधि के दौरान जिले में करीबन 3 लाख से ज्यादा प्रवासी आए थे. जिसमें से 55 हजार प्रवासियों को जिला प्रशासन ने मनरेगा में रोजगार दे दिया, लेकिन करीबन ढाई लाख से ज्यादा युवा काम के इंतजार में घरों में बैठे हैं.

हाईवे के किनारे फल बेचने को मजबूर युवा

कुछ युवाओं में परिवार का पालन पोषण करने के लिए हाइवे के किनारे अस्थाई दुकानें लगाई है. प्रवास में खुद की स्टेशनरी की दुकान चलाने वाले कमलेश ने बताया कि मुम्बई में खुद का बिजनेस था. महीने की अच्छी खासी राशि मिला करती थी. लेकिन, कोरोना वायरस के कारण स्कूलें बंद पड़ी है. ऐसे में स्टेशनरी को शॉप को बंद करके बैठे हैं.

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इसी के साथ उन्होंने बताया कि हालात यह हैं कि मार्च महीने के बाद से हर महीने 50 हजार दुकान का किराया भी सिर पर चढ़ रहा है. वहीं, कामकाज बंद होने कारण परिवार का पालन पोषण करने का संकट खड़ा होने लगा, तो सड़क के किनारे अस्थाई खजूर की दुकान लगा कर आजीविका चलाने की कोशिश कर रहे हैं.

खजूर बेचने पड़ रहे

इसी तरह ठाकरी राम देवासी ने बताया कि वे भी चेन्नई में काम करते थे. महीने के 50 हजार रुपये कमा लेते थे. लेकिन, अब काम काज बंद होने के बाद प्रवास में काम करने वाले 4 दोस्तों ने मिलकर फल का ठेला लगाया है. जिससे प्रतिदिन हजार रुपये कमा पाते हैं. जिससे प्रत्येक को 250 रुपये की दिहाड़ी पड़ जाती है.

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3 लाख से ज्यादा प्रवासी आये थे

लॉकडाउन के दौरान जिले में आने लिए राज्य सरकार ने रजिस्ट्रेशन करवाया था. जिसके अनुसार प्रदेश के सभी जिलों में से सबसे ज्यादा जालोर जिले में आने के लिए रजिस्ट्रेशन हुआ था. ऐसे में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 3 लाख से ज्यादा युवा जिले में आए थे. जिसमें से 55 हजार युवाओं को मनरेगा में रोजगार दिया हैं, जबकि 2.5 लाख के आसपास युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे है.

स्टील रेलिंग के काम काज से जुड़े थे अधिकतर युवा

देशावर में जिले के ज्यादातर युवा स्टील रेलिंग कार्य से जुड़े हुए थे. लेकिन, अब कोरोना के बाद आई वैश्विक मंदी के कारण नए मकानों का निर्माण कार्य बंद है. जिसके, कारण इस उद्योग से जुड़े लोग सबसे ज्यादा बेरोजगारी के शिकार हुए हैं. रेलिंग का कार्य करने वाले जगदीश बिश्नोई ने बताया कि बैंगलोर में महीने की लाख रुपए से ज्यादा की कमाई करते थे. लेकिन, अब काम पूरी तरह बंद होने और कोरोना के मामले बढ़ने के कारण घर पर बेरोजगार बैठे हैं.

नारियल पानी बेचना युवक

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गांव-गांव में लगे नए ठेले

जिले में अब गांव-गांव में प्रवास से बेरोजगार होकर लौटने वाले युवाओं ने अपने परिवार के पालन पोषण और अपनी आजीविका चलाने के लिए गांव-गांव में सब्जी या फल के ठेले लगाने शुरू किए हैं. नेशनल हाईवे-68, जालोर से आहोर रोड, सायला से बागोड़ा, भीनमाल से जालोर और रानीवाड़ा से जसवंतपुरा जाने वाले सड़क मार्गों पर जगह-जगह फल की अस्थाई दुकानें नजर आती हैं.

हजारों लोग बैठे हैं घर

जानकारी के अनुसार पिछले 1 महीने से कोरोना के नए केस सामने आ रहे हैं. जिसके, कारण हजारों युवाओं में खौफ देखा जा रहा है. प्रवास में काम काज करने वाले युवाओं ने बताया कि जिस प्रकार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. जिसको देखकर परिजन भी वापस मुम्बई सहित अन्य शहरों में भेजने से मना कर रहे है.

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