जालोर. कोरोना वायरस से पहले लाखों युवा प्रवास में अपना छोटा-मोटा व्यवसाय चलाया करते थे. जिससे वे एक महीने में 1.50 से 2 लाख रुपए तक की मोटी कमाई करते थे. लेकिन, कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के बाद आई वैश्विक मंदी के चलते काम धंधे पूरी तरह चौपट हो गए. जिसके कारण अब जिले में लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं.
इन बेरोजगार हुए युवाओं में से अधिकांश तो अपने घर बैठे है, या मनरेगा में मजदूरी पर जा रहे है. लेकिन, कुछ युवाओं ने अपनी आजीविका चलाने के लिए नेशनल हाईवे-68 के किनारे या गांवों में सब्जी और फ्रूट का ठेले लगाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार लॉकडाउन की अवधि के दौरान जिले में करीबन 3 लाख से ज्यादा प्रवासी आए थे. जिसमें से 55 हजार प्रवासियों को जिला प्रशासन ने मनरेगा में रोजगार दे दिया, लेकिन करीबन ढाई लाख से ज्यादा युवा काम के इंतजार में घरों में बैठे हैं.
कुछ युवाओं में परिवार का पालन पोषण करने के लिए हाइवे के किनारे अस्थाई दुकानें लगाई है. प्रवास में खुद की स्टेशनरी की दुकान चलाने वाले कमलेश ने बताया कि मुम्बई में खुद का बिजनेस था. महीने की अच्छी खासी राशि मिला करती थी. लेकिन, कोरोना वायरस के कारण स्कूलें बंद पड़ी है. ऐसे में स्टेशनरी को शॉप को बंद करके बैठे हैं.
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इसी के साथ उन्होंने बताया कि हालात यह हैं कि मार्च महीने के बाद से हर महीने 50 हजार दुकान का किराया भी सिर पर चढ़ रहा है. वहीं, कामकाज बंद होने कारण परिवार का पालन पोषण करने का संकट खड़ा होने लगा, तो सड़क के किनारे अस्थाई खजूर की दुकान लगा कर आजीविका चलाने की कोशिश कर रहे हैं.
इसी तरह ठाकरी राम देवासी ने बताया कि वे भी चेन्नई में काम करते थे. महीने के 50 हजार रुपये कमा लेते थे. लेकिन, अब काम काज बंद होने के बाद प्रवास में काम करने वाले 4 दोस्तों ने मिलकर फल का ठेला लगाया है. जिससे प्रतिदिन हजार रुपये कमा पाते हैं. जिससे प्रत्येक को 250 रुपये की दिहाड़ी पड़ जाती है.
3 लाख से ज्यादा प्रवासी आये थे